भारत की 8 अरब डॉलर की स्वास्थ्य ढांचागत योजना के वित्त पोषण के लिये एआईआईबी कर रहा बातचीत

Sunday, Aug 02, 2020 - 03:35 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक (एआईआईबी) भारत में जिला स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं में सुधार के लिये 8 अरब डॉलर की महत्वकांक्षी योजना के वित्त पोषण को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत कर रहा है।
चीन की राजधानी बीजिंग स्थित इस बहुपक्षीय वित्त पोषण संस्थान ने पूर्व में भारत को कोविड-19 महामारी के खिलाफ अभियान के लिये 1.2 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता की मंजूरी दे चुका है।

एआईआईबी के उपाध्यक्ष डी जे पांडियन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘भारत सरकार ने स्वास्थ्य ढांचागत सुविधा को मजबूत करने की महत्वकांक्षी योजना के बारे में चर्चा की है। इसमें प्रत्येक जिले में स्वास्थ्य ढांचागत सुविधा का निर्माण और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ परीक्षण संबंधी सुविधा को उन्नत बनाना शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह 8 अरब डॉलर की परियोजना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ इस बारे में बातचीत में विóóश्वबैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) भी शामिल हैं।
पांडियन ने कहा कि वित्त मंत्रालय इस महत्वकांक्षी कार्यक्रम के लिये वित्तीय योजना तैयार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर चीजें ठीक से आगे बढ़ीं, एआईआईबी द्वारा वित्त पोषण को त्वरित आधार पर इस साल तक मंजूरी मिल सकती है।
कोविड-19 सहायता के संदर्भ में पांडियन ने कहा कि एआईआईबी ने 50 करोड़ डॉलर और 75 करोड़ डॉलर के दो कर्ज को मंजूरी दी है।

उन्होंने कहा कि 50 करोड़ डॉलर का पहला कर्ज मई में मंजूर हुआ। यह कर्ज मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने के लिये है जो कोविड-19 मरीजों का प्रभावी तरीके से इलाज कर सके और उसे फैलने से रोक सके।

इसके अलावा 75 करोड़ डॉलर के कर्ज को जून में मंजूरी दी गयी। यह कोविड-19 संकट के गरीब और वंचित परिवार पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव से निपटने में सरकार की मदद के लिये है।

एआईआईबी से अब तक सबसे ज्यादा कर्ज सहायता भारत को मिली है। इसके कुल कर्ज में भारत की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
बहुपक्षीय निवेश बैंक ने 16 जुलाई, 2020 तक 24 अर्थव्यवस्थाओं के लिये 87 परियोजनाओं को लेकर 19.6 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दी है।

एआईआईबी ने भारत में 17 परियोजनाओं के लिये 4.3 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दी हैं
भारत 2016 में गठित इस बहुपक्षीय वित्त पोषण संस्थान का संसथापक सदस्य है और चीन के बाद 7.65 प्रतिशत मतदान अधिकार के साथ दूसरा बड़ा हिस्सेदार है। वहीं चीन के पास 26.63 प्रतिशत हिस्सेदारी है।


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PTI News Agency

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