आईओसीएल का पहली तिमाही शुद्ध लाभ 47 प्रतिशत घटकर 1,910.84 करोड़ रुपये

Friday, Jul 31, 2020 - 08:31 PM (IST)

नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) का चालू वित वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ 47 प्रतिशत घट गया। कोविड-19 महामारी की वजह से कंपनी की ईंधन मांग घटने के साथ ही रिफाइनिंग मार्जिन भी घटा है, जिसकी वजह से कंपनी का मुनाफा नीचे आया है।
कंपनी के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने यहां संवाददाताओं से कहा कि तिमाही के दौरान उसका एकल शुद्ध लाभ 46.8 प्रतिशत घटकर 1,910.84 करोड़ रुपये यानी 2.08 रुपये प्रति शेयर रहा। जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 3,596.11 करोड़ रुपये यानी 3.92 रुपये प्रति शेयर रहा था।

उन्होंने कहा, ‘‘भंडार में रखे माल पर नुकसान शुद्ध लाभ में गिरावट की मुख्य वजह रहा।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी को पहली तिमाही में भंडार में रखे माल पर 3,196 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि साल भर पहले इस मद में 2,362 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था।

भंडार में रखे माल पर नुकसान तब होता है जब कोई कंपनी कच्ची सामग्री (आईओसीएल के मामले में कच्चा तेल) एक दाम पर खरीदती है और जब वह उससे उत्पाद (आईओसी के मामले में पेट्रोल, डीजल आदि) तैयार कर बाजार में लाती है, तब उसकी कीमतें गिर जाती हैं। इससे जो नुकसान होता है, उसे भंडार पर हुआ नुकसान कहते हैं। इसका विपरीत कम दाम पर खरीद और उत्पाद बिक्री के समय ऊंचेदाम मिलने पर भंडार पर लाभ होता है।

वैद्य ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कच्चे तेल का औसत भाव 29.6 बैरल प्रति डॉलर रहा। यह पिछले साल की इसी तिमाही में 68.9 डॉलर प्रति बैरल और मार्च तिमाही में 50.1 डॉलर प्रति बैरल रहा था।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने मांग को प्रभावित किया और परिशोधन संयंत्र पूरी क्षमता पर काम नहीं कर पाये। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी अभी भी फैल रही है, ऐसे में हम निकट भविष्य में सामान्य स्थिति में नहीं लौटने वाले हैं।’’
पहली तिमाही में ज्यादातर समय कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में बीता। इस दौरान वाहनों की आवाजाही पर अंकुश था। इससे तिमाही के दौरान आईओसी की ईंधन बिक्री 29 प्रतिशत घटकर 1.52 करोड़ टन रही।
तिमाही के दौरान कंपनी की रिफाइनरियों ने 25 प्रतिशत कम यानी 1.29 करोड़ टन कच्चे तेल का प्रसंस्करण किया। तिमाही के दौरान प्रत्येक एक बैरल कच्चे तेल के प्रसंस्करण पर 1.98 डॉलर का घाटा हुआ। वहीं 2019- 20 में उसे पहली तिमाही में 4.69 डालर प्रति बैरल का सकल रिफाइनिंग मार्जिन हासिल हुआ था।
वैद्य ने कहा कि आलोच्य तिमाही के दौरान पेट्रोल की मांग 36 प्रतिशत गिरकर 20 लाख टन पर आ गयी। इसी तरह डीजल की बिक्री 35 प्रतिशत गिरकर 65 लाख टन रही। विमानन ईंधन एटीएफ की मांग में 79 प्रतिशत की जोरदार गिरावट दर्ज की गयी और यह 2.4 लाख टन रह गयी। हालांकि, सरकार की गरीबों को निशुल्क गैस सिलेंडर देने की योजना से एलपीजी की बिक्री 15.7 प्रतिशत बढ़ गयी।

जून तिमाही में कंपनी की परिचालन आय घटकर 88,936.54 करोड़ रुपये रह गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 1,50,136.70 करोड़ रुपये रही थी।
कंपनी ने कहा कि अप्रैल में राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से उसकी बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई। इस दौरान संयंत्रों ने भी कम क्षमता पर परिचालन किया। हालांकि, जून तक यह बहुत हद तक सामान्य स्थिति में आ गई।



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PTI News Agency

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