भारत-ईयू ने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सहयोग पर समझौते का नवीकरण किया
Saturday, Jul 25, 2020 - 10:11 PM (IST)
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने अगले पांच वर्षों में सहयोग को मजबूत बनाने के उद्देश्य से वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाने के लिए अपने समझौते का नवीकरण किया है।
पिछले सप्ताह 15वें भारत-ईयू सम्मेलन में दोनों पक्ष 2025 तक वैज्ञानिक सहयोग पर एक समझौते का नवीकरण करने पर सहमत हुए थे। सम्मेलन में भारतीय पक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व किया था।
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने किया था।
पहले यह समझौता 23 नवम्बर, 2001 में हुआ था और इसके बाद 2007 और 2015 में इसका नवीकरण हुआ।
शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार पिछले पांच वर्षों में, भारत-यूरोपीय संघ अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं पर सह-निवेश का स्तर किफायती स्वास्थ्य देखभाल, जल, ऊर्जा, भोजन और पोषण जैसी सामाजिक चुनौतियों को उठाने के लिए बढ़ाया गया है।
बयान के अनुसार सहयोग में जल, हरित परिवहन, ई-गतिशीलता, स्वच्छ ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, जैव-अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और आईसीटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बयान में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, सतत शहरी विकास, विनिर्माण, उन्नत सामग्री और जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण और महासागर अनुसंधान जैसे अतिरिक्त क्षेत्रों पर भी भविष्य में विचार किया जा सकता हैं।
इसमें कहा गया है कि यूरोपीय संघ और भारत मानव विकास और नवाचार में सबसे आगे हैं।
बयान के अनुसार छात्रों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के बीच आदान-प्रदान में वृद्धि से दोनों पक्षों को लाभ होगा। भारत और यूरोपीय संघ ने प्रतिभा के आदान-प्रदान में एक पारस्परिक रुचि साझा की है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
पिछले सप्ताह 15वें भारत-ईयू सम्मेलन में दोनों पक्ष 2025 तक वैज्ञानिक सहयोग पर एक समझौते का नवीकरण करने पर सहमत हुए थे। सम्मेलन में भारतीय पक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व किया था।
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने किया था।
पहले यह समझौता 23 नवम्बर, 2001 में हुआ था और इसके बाद 2007 और 2015 में इसका नवीकरण हुआ।
शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार पिछले पांच वर्षों में, भारत-यूरोपीय संघ अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं पर सह-निवेश का स्तर किफायती स्वास्थ्य देखभाल, जल, ऊर्जा, भोजन और पोषण जैसी सामाजिक चुनौतियों को उठाने के लिए बढ़ाया गया है।
बयान के अनुसार सहयोग में जल, हरित परिवहन, ई-गतिशीलता, स्वच्छ ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, जैव-अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और आईसीटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बयान में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन, सतत शहरी विकास, विनिर्माण, उन्नत सामग्री और जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण और महासागर अनुसंधान जैसे अतिरिक्त क्षेत्रों पर भी भविष्य में विचार किया जा सकता हैं।
इसमें कहा गया है कि यूरोपीय संघ और भारत मानव विकास और नवाचार में सबसे आगे हैं।
बयान के अनुसार छात्रों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के बीच आदान-प्रदान में वृद्धि से दोनों पक्षों को लाभ होगा। भारत और यूरोपीय संघ ने प्रतिभा के आदान-प्रदान में एक पारस्परिक रुचि साझा की है।
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