बीएमएस करेगा सरकार के निजीकरण अभियान के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

Thursday, Jun 04, 2020 - 07:27 PM (IST)

नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह सरकार के आक्रामक निजीकरण के अभियान के खिलाफ 10 जून को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा।
एक बयान में, बीएमएस ने कहा कि सरकार अपने तंत्र को चलाने के लिए धन की सख्त आवश्यकता के बहाने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकरण करके को उचित ठहरा रही है।
बीएमएस ने कहा, ‘‘उसे (सरकार) को अपने पूर्ववर्तियों द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। बीएमएस तब तक लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है जब तक कि वह सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र विरोधी और श्रमिक-विरोधी निर्णय लेने से नहीं रोक देता। इसके लिए बीएमएस 10 जून, 2020 को ''सार्वजनिक क्षेत्र को बचाओ, भारत बचाओं’’ बैनर के तले एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।
मंगलवार और बुधवार को बीएमएस की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गई।
बैठक में कोयला, गैर-कोयला, रक्षा, रेलवे, डाक, बैंकिंग, बीमा, इस्पात, समुद्री क्षेत्र की कंपनियों तथा दूरसंचार, बिजली, भारी इंजीनियरिंग, तेल और गैस, विमानन, रसायन, मुद्रा एव सिक्क, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों में बीएमएस यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बीएमएस ने यह बैठक, केन्द्र सरकार के निजीकरण की आक्रामक पहल के खिलाफ कार्रवाई के बारे में निर्णय करने के लिए आयोजित की थी।
बीएमएस ने कहा कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। संगठन ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से देखा गया है कि सरकारें देश के कामगारों पर अनुचित फैसले लादने और थोपने का प्रयास करती हैं।
इसने कहा है कि सरकार के सलाहकारों के पास राजस्व सृजित करने की सोच की कमी है। इससे उन्हें राजस्व के लिए निगमीकरण और निजीकरण का रास्ता ही सूझता है। बीएमएस ने कहा कि सरकार के ऐसे सलाहकार राष्ट्र के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं।
बीएमएस ने कहा कि सरकार को अंशधारकों से मिलकर रराजकोषीय घाटा और राजस्व सृजन जैसे मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए।
इस मजदूर संगठन ने कहा कि सरकार ने पहले ही घाटे में चलने वाली इकाइयों की बिक्री करने का प्रयास किया, मगर कोई खरीदार इन्हें खरीदने को तैयार नहीं था।‘अब सरकार खरीदारों को रिझाने के लिए महारत्न एवं नवरत्न जैसी काफी लाभ में चलने वाली कंपनियों को बेचने का प्रयास है।


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PTI News Agency

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