सेवा क्षेत्र गतिविधियों में मई में गिरावट, कंपनियां घटा रही हैं नैकरियां: सर्वे

punjabkesari.in Wednesday, Jun 03, 2020 - 05:00 PM (IST)

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण पूरे देश में मई महीने में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी से गिरावट आयी और दुकानों पर उपभोक्ताओं का जाना लगभग बंद रहा। इन सबके कारण कंपनियों ने नौकरियां घटानी शुरू कर दी हैं। एक मासिक सर्वे में बुधवार को यह कहा गया।

आईएचएस मार्किट भारत सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक मई में 12.6 पर रहा। यह उत्पादन में फिर से बड़ी गिरावट को प्रतिबिंबित करता है।

सर्वे में कहा गया है कि हालांकि मई का सूचकांक अप्रैल के 5.4 के रिकार्ड निचले स्तर से बेहतर है लेकिन इसके बावजूद यह स्तर 14 साल से जारी आंकड़ा संग्रह के दौरान नहीं देखा गया। यह देश भर में सेवा गतिविधियों में भारी गिरावट को बताता है।

सर्वे के अनुसार आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के 50 से अधिक अंक होने का अर्थ है गतिविधियों में विस्तार, जबकि इससे कम अंक कमी को बताता है।
इसमें कहा गया है कि कारोबारी गतिविधियां बंद होने से उत्पादन में तीव्र गितरावट आयी और मांग की स्थिति खस्ताहाल रही।
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री जो हेयस ने कहा, ‘ भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां अभी भी लगभग ठहरी हुई हैं। नवीनतम पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि मई में एक बार फिर उत्पादन में भारी गिरावट हुई है।’’
हेयस ने कहा कि सेवाओं की मांग में मई महीने में लगातार गिरावट रही। यह गिरावट घरेलू और वैश्विक बाजार दोनों जह देखी गयी। इसका कारण कारोबार का बंद होना और दुकानों पर पहुंचने वाले लोगों की संख्या सामान्य स्तर से काफी नीचे रही।

सर्वे में कहा गया है कि कमजोर मांग और आने वाले समय में चुनौतीपूर्ण स्थिति के कारण रोजगार में लगातार कमी देखी गयी।

समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक भी मई में निजी क्षेत्र में व्यापार गतिविधियों में भारी गिरावट का संकेत देता है। यह सूचकांक सेवा और विनिर्माण उत्पादन को संयुक्त रूप से आकलित करता है।

सर्वे के अनुसार समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक मई में 14.8 रहा जो अप्रैल में 7.2 था। यह उत्पादन में हो रहे गिरावट को देखते हुए अप्रत्याशित नहीं है।
हेयस ने कहा कि 2020 की पहली छमाही में आर्थिक उत्पादन में कमी तय है, ऐसे में यह साफ है कि कोविड-19 संकट से पहले के स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आने में समय लगेगा।

कोरोना वायरस संकट से पहले ही भारत में आर्थिक गतिविधियां नरम थी। इसका कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और उपभोक्ता मांग में कमी थी। देश की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत रही जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है।

इससे पहले, सोमवार को मूडीज ने भारत की साख को कम कर निवेश के न्यूनतम स्तर पर कर दिया। इसका मुख्य कारण क्षमता के मुकाबले वृद्धि दर का धीमा होना और बढ़ते कज को लेकर जोखिम है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भरोसा जताया कि देश कोरोना वायरस महामारी से पार पा लेगा और सरकार की निर्णायक नीतियों से पटरी पर लौट आएगा।



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PTI News Agency

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