भारत का राजकोषीय घाटा 2020-21 में जीडीपी के 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका: फिच सोल्यूशंस
Wednesday, Apr 01, 2020 - 05:21 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) साख निर्धारण और अन्य सेवाएं देने वाली अमेरिकी कंपनी फिच सोल्यूशंस ने कहा है कि भारत का राजकोषीय घाटा 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.2 प्रतिशत तक जा सकता है जबकि सरकार ने इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये दिया गया आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज हैं।
उसने कहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) तथा उसके व्यापक प्रभाव के कारण राजस्व संग्रह पर दबाव पड़ेगा और सरकार को अपने खर्च के वित्त पोषण को लेकर मजबूरन अतिरिक्त कर्ज या केंद्रीय बैंक से अधिक लााभांश लेना पड़ सकता है।
एजेंसी ने कहा, ‘‘...हम भारत के लिये राजकोषीय घाटा का अनुमान वित्त वर्ष 2020-21 में संशांधित कर जीडीपी का 6.2 प्रतिशत कर रहे हैं जबकि पूर्व में हमने इसके 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। यह बताता है कि सरकार अपने 3.5 प्रतिशत लक्ष्य से चूकेगी।’’
फिच सोल्यूशंस के अनुसार संशोधित अनुमान के पीछे कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियों में नरमी के परिणास्वरूप राजस्व संग्रह कम रहने तथा आर्थिक झटकों से निपटने के लिये अधिक व्यय की आशंका है।
रिपोर्ट के अनुसार कमजोर आर्थिक गतिविधियों से 2020-21 में राजस्व संग्रह में एक प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि पूर्व में इसमें 11.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
उसने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 के लिये वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 4.6 रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 5.4 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। हमने 2019-20 में 4.9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि अनुमान के जरिये जो नरमी की बात कही थी, वह सही लग रही है। इसका कारण घरेलू आवाजाही बाधित होने से आर्थिक गतिविधियां ठप होना तथा कमजोर वैश्विक मांग है।’’
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये देश में 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार, ‘‘वायरस के कारण आर्थिक गतिविधियां कई तिमाही तक प्रभावित होने की आशंका है। इससे व्यक्तिगत और कंपनी आयकर संग्रह पर पूरे साल के दौरान असर दिखेगा।’’
साथ ही दूसरी तरफ 2020-21 में व्यय बढ़ेगा क्योंकि सरकार कोरोना वायरस संकट को देखते हुए आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर कदम उठा रही है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार, ‘‘हमारा अनुमान है कि कम राजस्व संग्रह के बावजूद व्यय 22.2 प्रतिशत बढ़ेगा... कोरोना वायरस के कारण मानवीय संकट को देखते हुए सरकार के पास 2020-21 के बजट में निर्धारित योजना के विपरीत अपना व्यय बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.8 प्रतिशत) का प्रोत्साहन पैकेज जारी किया।’’
इस पैकेज में गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना, चकित्सा कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।
उसने कहा कि वैश्विक मंदी की आशंका के बीच भारत के आकार को देखते हुए अर्थव्यवस्था के समर्थन के लिये 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज अपर्याप्त है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार ऐसे में हमारा अनुमान है कि भारत सरकार आने वाले समय में और प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकती है जिसका असर राजकोषीय घाटे पर पड़ेगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उसने कहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) तथा उसके व्यापक प्रभाव के कारण राजस्व संग्रह पर दबाव पड़ेगा और सरकार को अपने खर्च के वित्त पोषण को लेकर मजबूरन अतिरिक्त कर्ज या केंद्रीय बैंक से अधिक लााभांश लेना पड़ सकता है।
एजेंसी ने कहा, ‘‘...हम भारत के लिये राजकोषीय घाटा का अनुमान वित्त वर्ष 2020-21 में संशांधित कर जीडीपी का 6.2 प्रतिशत कर रहे हैं जबकि पूर्व में हमने इसके 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। यह बताता है कि सरकार अपने 3.5 प्रतिशत लक्ष्य से चूकेगी।’’
फिच सोल्यूशंस के अनुसार संशोधित अनुमान के पीछे कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियों में नरमी के परिणास्वरूप राजस्व संग्रह कम रहने तथा आर्थिक झटकों से निपटने के लिये अधिक व्यय की आशंका है।
रिपोर्ट के अनुसार कमजोर आर्थिक गतिविधियों से 2020-21 में राजस्व संग्रह में एक प्रतिशत की गिरावट आ सकती है जबकि पूर्व में इसमें 11.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
उसने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 के लिये वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 4.6 रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 5.4 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। हमने 2019-20 में 4.9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि अनुमान के जरिये जो नरमी की बात कही थी, वह सही लग रही है। इसका कारण घरेलू आवाजाही बाधित होने से आर्थिक गतिविधियां ठप होना तथा कमजोर वैश्विक मांग है।’’
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये देश में 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार, ‘‘वायरस के कारण आर्थिक गतिविधियां कई तिमाही तक प्रभावित होने की आशंका है। इससे व्यक्तिगत और कंपनी आयकर संग्रह पर पूरे साल के दौरान असर दिखेगा।’’
साथ ही दूसरी तरफ 2020-21 में व्यय बढ़ेगा क्योंकि सरकार कोरोना वायरस संकट को देखते हुए आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर कदम उठा रही है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार, ‘‘हमारा अनुमान है कि कम राजस्व संग्रह के बावजूद व्यय 22.2 प्रतिशत बढ़ेगा... कोरोना वायरस के कारण मानवीय संकट को देखते हुए सरकार के पास 2020-21 के बजट में निर्धारित योजना के विपरीत अपना व्यय बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.8 प्रतिशत) का प्रोत्साहन पैकेज जारी किया।’’
इस पैकेज में गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना, चकित्सा कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।
उसने कहा कि वैश्विक मंदी की आशंका के बीच भारत के आकार को देखते हुए अर्थव्यवस्था के समर्थन के लिये 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज अपर्याप्त है।
फिच सोल्यूशंस के अनुसार ऐसे में हमारा अनुमान है कि भारत सरकार आने वाले समय में और प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकती है जिसका असर राजकोषीय घाटे पर पड़ेगा।
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