दुनिया में नहीं रहे उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के निदेशक ज्योति बाजपेइ

punjabkesari.in Thursday, Jun 15, 2017 - 08:15 PM (IST)

लखनउ: उत्तर प्रदेश क्रिकेट के पितामह कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के निदेशक ज्योति बाजपेई का दिल का दौरा पडऩे से कल रात कानपुर में निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। यूपीसीए के सी ई आे ललित खन्ना ने बताया कि आज दोपहर उनका अंतिम संस्कार कानपुर के भैरो घाट पर कर दिया गया। इस अवसर पर शहर के तमाम क्रिकेट प्रेमी मौजूद थे। उन्होंने कल शाम अपने आजाद नगर स्थित नये घर में अंतिम सांस ली थी। बाजपेई पिछले कुछ वर्षों से ययसीए की गतिविधियों से अलग थे। वे 1998 से 2003 तक बीसीसीआई के संयुक्त सचिव भी रहे। इतने लंबे अर्से तक कोई भी संयुक्त सचिव के पद पर नहीं रहा। 

इसके अलावा वे 2003 से 2005 तक बोर्ड के कोषाध्यक्ष भी रहे। उनके कार्यकाल के दौरान गोपाल शर्मा के बाद भारतीय क्रिकेट में उत्तर प्रदेश के योगदान में आए शून्य को तब उन्होंने ही भरवाया, जब कई वर्षों बाद ज्ञानेंद्र पांडेय और मोहमद कैफ को भारतीय टीम में जगह बनाने का मौका मिला। सुरेश रैना और आरपी सिंह भी उन्ही की देखरेख में राज्य क्रिकेट में चमके और फिर भारतीय टीम में पहुंचे। शशिकान्त खांडेकर हों या ज्ञानेन्द्र पांडे, ज्योति यादव, पीयूष चावला, सुरेश रैना, आरपी सिंह व कुछ अन्य खिलाड़ी, इनकी योग्यता को पहचानने वाले ज्योति बाजपेई ही थे। 13 अगस्त 1936 को जन्मे ज्योति बाजपेई मृदुभाषी तो इतने थे कि हर कोई उनके व्यवहार का कायल हो जाता था। 

भारतीय क्रिकेट को उंचाइयों पर पहुंचाने वाले जगमोहन डालमिया तो उन्हें इतना मानते थे कि अपने कार्यकाल के दौरान हर बड़े फैसले में ज्योति बाजपेई की राय लेना नहीं भूलते थे। यूपीसीए निदेशक व आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला पूर्व रणजी कोच ज्ञानेंद्र पांडेय, टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज आर पी सिंह समेत कई अन्य खिलाडयिों और पदाधिकारियों ने ज्योति बाजपेई के निधन पर शोक जताया। शुक्ला ने कहा कि उनके यूपी और देश के क्रिकेट में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनका निधन यूपी क्रिकेट और मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान है।
 


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