भारतीय टेनिस समुदाय ने आज सोमदेव के योगदान को किया याद

punjabkesari.in Monday, Jan 02, 2017 - 04:47 PM (IST)

चेन्नई: भारतीय टेनिस समुदाय ने आज भारतीय टेनिस में योगदान और युवा पीढ़ी के लिए तय किए गए फिटनेस के मानदंडों के लिए सोमदेव देववर्मन को याद किया। सोमदेव ने 31 साल की उम्र में कल टेनिस से संन्यास ले लिया था। उन्होंने डेविस कप में 14 मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा एकल में उनके नाम पर 14 जीत और दस हार दर्ज हैं। सोमदेव 2008 में पेशेवर बने और जुलाई 2011 में अपनी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 62 पर पहुंचे। वह चेन्नई (2005) और जोहानिसबर्ग (2011) में उप विजेता रहे थे। इसके अलावा उन्होंने चैलेंजर सर्किट पर कई जीत दर्ज की।  

पूर्व डेविस कप कप्तान एस पी मिश्रा ने कहा, ‘‘भारतीय खिलाड़ी उनसे सीख सकते हैं कि फिट कैसे रहा जाता है। वह फिटनेस को बहुत महत्व देते थे। उन्होंने डेविस कप में कुछ शानदार मैच खेले। लोग उनसे सीख ले सकते हैं। सोमदेव ने एशियाई खेलों में कुछ बहुत अच्छे मैच खेले। भारतीय टेनिस में उनका योगदान अमूल्य है।’’ कई डेविस कप मुकाबलों में सोमदेव के कप्तान रहे मिश्रा से उनके साथ यादगार क्षण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सर्बिया के खिलाफ 2011 में विश्व ग्रुप के पहले दौर तथा ताइपै और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकाबलों को याद किया। मिश्रा ने कहा, ‘‘चीनी ताइपै के खिलाफ उन्होंने लु को हराया था। सर्बिया के खिलाफ यांको टिपसारेविच को हराया और ब्राजील के खिलाफ भी एकल में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। हम दो बार विश्व ग्रुप में पहुंचे और इसमें उनका योगदान अहम रहा। ’’ 

भारत के वर्तमान के एकल खिलाडिय़ों साकेत मयनेनी, युकी भांबरी और रामकुमार रामनाथन ने भी डेविस कप टीम में सोमदेव की कमी खलेगी। युकी ने कहा, ‘‘मैंने डेविस कप में जितने एकल खिलाड़ी देखे उनमें वह सर्वश्रेष्ठ था। हमारे पास रामनाथन और रमेश कृष्णन तथा लिएंडर पेस जैसे दिग्गज खिलाड़ी हुए हैं लेकिन जब मैंने खेलना शुरू किया तो मैंने उसे ही देखा। उसने हमें रास्ता दिखाया। सोमदेव ने हमारे लिये मानदंड स्थापित किये हैं।’’ मयनेनी ने कहा कि सोमदेव के संन्यास के फैसले से उन्हें थोड़ा हैरानी हुई। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप मानसिक तौर पर खेलने के लिये तैयार नहीं रहते तो खेलना जारी रखना मुश्किल होता है लेकिन वह जिस तरह के चैंपियन है मुझे लग रहा था कि आगे खेलना जारी रखेगा। अब उनके नक्शेकदम पर चलना हमारे लिये चुनौती है।’’ रामकुमार रामनाथन ने कहा, ‘‘खिलाड़ी आते जाते रहेंगे लेकिन सोमदेव के साथ में होने से उत्साह बना रहता था। उन्होंने हमेशा मेरी मदद की। उनसे सलाह आसानी से ली जा सकती थी। ’’ 
 


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