मेरा हर पदक संघर्ष की दास्तान है : मैरीकॉम

Wednesday, Nov 08, 2017 - 04:11 PM (IST)

नई दिल्ली: एम सी मैरीकॉम के अनुसार उनका हर पदक संघर्ष की दास्तान है लेकिन एशियाई चैम्पियनशिप का पांचवां स्वर्ण पदक इसलिए भी खास है क्योंकि पिछले एक साल में रिंग के बाहर कई भूमिकाएं निभाने के बावजूद उन्हें यह हासिल हुआ है। 5 बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरीकाम ने आज इतिहास रच दिया जो एशियाई चैम्पियनशिप में पांच पदक जीतने वाली पहली मुक्केबाज बन गई ।   

मैरीकॉम ने प्रेस ट्रस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह पदक बहुत खास है । मेरे सभी पदकों के पीछे संघर्ष की कहानियां रही है। हर पदक के पीछे कोई नया संघर्ष रहा है। मुझे उम्मीद है कि सांसद बनने के बाद मिला यह पदक मेरी साख में बढौतरी करेगा । मेरा कद और बढेगा। शीर्ष स्तर की मुक्केबाज होने के साथ 35 बरस की मैरीकॉम राज्यसभा सांसद और भारत में मुक्केबाजी की सरकारी पर्यवेक्षक भी है। इसके अलावा वह 3 बच्चों की मां है। इसके अलावा इम्फाल में उनकी अकादमी भी है जिसे वह अपने पति ओनलेर कोम के साथ मिलकर चलाती हैं। उन्होंने कहा कि मैं सक्रिय सांसद हूं। नियमित रूप से संसद जा रही हूं और चैम्पियनशिप के लिए भी कड़ी तैयारी की। चूंकि मैं सरकारी पर्यवेक्षक हूं तो सारी बैठकों में भी भाग लेना होता है। 

उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि यह कितना कठिन है। मैरीकॉम ने कहा कि मैं कई भूमिकाएं निभा रही हूं। मैं एक मां भी हूं जिसे 3 बच्चों का ध्यान रखना होता है। मुझे पता नहीं कि मैं कैसे सब कुछ कर पाती हूं। मैरीकॉम भारत ही नहीं बल्कि विश्व में महिला मुक्केबाजी का चेहरा रही है जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने उसे 2010 में ‘मैग्नीफिसेंट मेरी ’ का उपनाम दिया। मैरीकॉम ने कहा कि एशियाई चैम्पियनशिप के बाद मुझे आईओसी एथलीट फोरम में भाग लेने लुसाने जाना है। अब मुझे यात्राओं से नफरत हो गई है। इससे मैं थक जाती हूं पर आप जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकते।

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