कोई प्रमोशन नहीं, कोई स्पॉसर नहीं लेकिन डटे रहे जिद्दी मनोज

Saturday, Aug 13, 2016 - 08:13 AM (IST)

नई दिल्ली: रियो जाने वाले ओलिंपिक दल के सदस्य मनोज कुमार से 6 साल पहले पदोन्नति का वादा किया गया था जो उन्हें अभी तक नहीं मिला है और उनके पास कोई प्रायोजक भी नहीं है लेकिन इस मुक्केबाज ने खेल छोडऩे के बारे में विचार नहीं किया। इस मुक्केबाज का कहना है कि उनकी जिद ने उन्हें ऐसा करने से रोके रखा है।   

 
रियो ओलिंपिक के लिए शिव थापा (56 किग्रा) और विकास कृष्ण (75 किग्रा) समेत 3 भारतीय मुक्केबाजों ने क्वालीफाई किया है जिसमें मनोज को छुपारूस्तम कहा जा सकता है।  वेल्टरवेट वर्ग में भाग लेने वाले मनोज (64 किग्रा) ने  कहा कि मेरी जड़े मराठों से जुड़ी हैं और मैं शिवाजी से काफी प्रेरित हूं, जिससे मैं काफी मजबूत हूं और इतना जिद्दी भी हूं। इस अडिय़लपन ने ही मुझे परिस्थितियों से लडऩे में मदद की। 
 
वह जिन परिस्थितियों का जिक्र कर रहे हैं, इसमें विभाग से मिलने वाली पदोन्नति का इंतजार शामिल है जो उन्हें 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद किया गया था। वह भारतीय रेल में तीसरे दर्जे के कर्मचारी हैं, उन्हें तब की केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी ने तरक्की देने का वादा किया था। उस वादे के बाद सात मंत्री इस पद पर आ-जा चुके हैं लेकिन मनोज की स्थिति जस की तस है।  
 
Advertising