2016 में जूनियर विश्व खिताब ने भुला दिए भारतीय हॉकी के तमाम रंजो गम

punjabkesari.in Sunday, Dec 25, 2016 - 03:09 PM (IST)

नई दिल्ली: पंद्रह बरस बाद जूनियर विश्व कप जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय युवा खिलाडिय़ों ने रियो आेलंपिक की नाकामी का गम भुलाने के साथ बरसों से चला आ रहा बड़े खिताब का अकाल भी दूर कर दिया जबकि महिला टीम के लिये भी वर्ष 2016 सफलतायें लेकर आया। आस्ट्रेलिया के होबर्ट में 2001 में खिताब जीतने के बाद 15 बरस का भारतीय जूनियर टीम का इंतजार साल के आखिर में नवाबों के शहर लखनउ में खत्म हुआ जहां बेल्जियम को फाइनल में हराकर मेजबान ने ट्राफी अपने नाम की। खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरी भारतीय टीम ग्रुप चरण में कनाडा, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपराजेय रही जबकि क्वार्टर फाइनल में स्पेन को परास्त किया।  सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया ने भारत को नाकों चने चबवाए और मैच शूटआउट तक खिंच गया जिसमें भारत ने गोलकीपर विकास दहिया के बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर 4.2 से बाजी मारी। फाइनल में मुकाबला बेल्जियम से था जिसे 2.1 से हराने में भारत को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। भारत की खिताबी जीत के लिए ही नहीं बल्कि भारत के हर मैच में खचाखच भरे रहने वाले मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर दर्शकों के उत्साह के लिए भी यह टूर्नामेंट हॉकी प्रेमियों को बरसों तक याद रहेगा।   

रियो में भारत ने 36 साल बाद पदक जीतने का मौका गंवाया
रियो आेलंपिक में भारत ने 36 साल बाद पदक जीतने का मौका गंवा दिया और क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम से 1.3 से हारकर बाहर हो गई। खेलों के इस महासमर से पहले सरदार सिंह की जगह गोलकीपर पी आर श्रीजेश को कप्तान बनाया गया था और ग्रुप चरण में आयरलैंड और अर्जेंटीना को हराने के अलावा भारत ने कनाडा से ड्रा खेला जबकि जर्मनी से पराजित हुआ। क्वार्टर फाइनल में हालांकि टीम लय नहीं बना सकी और इस बार भी आेलंपिक में झोली खाली रही। महिला हॉकी टीम ने 36 बरस बाद आेलंपिक के लिये क्वालीफाई किया था। 

34 साल बाद रजत पदक जीता 
महिला टीम की कप्तान रितु रानी को भी अनुशासनात्मक कारणों से टूर्नामेंट से ठीक पहले हटाकर सुशीला चानू को कमान सौंपी गई थी। भारतीय टीम हालांकि पूल चरण से ही बाहर हो गई जिसमें उसने जापान से ड्रा खेला जबकि ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और अर्जेंटीना ने उसे हराया। इस साल हाकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष चुने गए और यह पद हासिल करने वाले वह पहले भारतीय बने। लंदन में जून में हुई चैम्पियंस ट्राफी में भारत ने 34 साल बाद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता । फाइनल में शूटआउट में उसे आस्ट्रेलिया ने 3.1 से हराया । भारत के युवा ड्रैैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया।   

पाक को हराकर एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी जीती
अक्तूबर में कुआंटन में एशियाई चैम्पियंस ट्राफी में भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता । पूल चरण में भी भारत ने पाकिस्तान को हराया था। महिला टीम भी पीछे नहीं रही और चीन को 2.1 से हराकर एशियाई चैम्पियंस ट्राफी अपने नाम की । साल के आखिर में लड़कियों की अंडर 18 टीम ने बैंकाक में एशिया कप में कांस्य पदक हासिल करके साल का सुखद अंत किया। भारत ने कांस्य पदक के मुकाबले में कोरिया को 3.0 से हराया। सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने जापान को कड़ी टक्कर दी लेकिन शूटआउट में 4.2 से हार गई। साल का आगाज फरवरी मार्च में गुवाहाटी में दक्षिण एशियाई खेलों से हुआ जिसमें फाइनल में भारतीय टीम पाकिस्तान से एक गोल से हार गई जबकि महिला टीम ने श्रीलंका को 10.0 से हराकर खिताब जीता । फरवरी मार्च में ही भारत की सीनियर टीम ने दक्षिण अफ्रीका का दौरा करके पांच मैच जीते, दो हारे जबकि एक ड्रा खेला । अप्रैल में न्यूजीलैंड में महिलाओं के हाकेस बे कप में टीम छठे स्थान पर रही।  

सुल्तान अजलन शाह कप में जीता रजत पदक 
अप्रैल में सुल्तान अजलन शाह कप में भारत ने रजत पदक जीता जिसमें फाइनल में आस्ट्रेलिया ने उसे 4.0 से हराया। मई में महिला टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया लेकिन उसे पांचों टेस्ट में पराजय झेलनी पड़ी। मई जून में डारविन में चार देशों के महिला आमंत्रण टूर्नामेंट में कांस्य पदक के मुकाबले में जापान ने भारत को 2.1 से हराया। इसके बाद वालेंशिया में छह देशों के टूर्नामेंट में भारतीय महिला टीम एकमात्र जीत आयरलैंड के खिलाफ दर्ज कर सकी। जुलाई में अमेरिका दौरे पर मेजबान से एक मैच जीता और एक हारा जबकि कनाडा को दोनों मैचों में हराया। रोलेंट आेल्टमेंस के मार्गदर्शन में सीनियर पुरूष टीम आेलंपिक की तैयारियों में जुटी थी हालांकि इससे ठीक पहले स्पेन दौरे पर उसने दोनों टेस्ट गंवाये थे।   

जूनियर विश्व कप से पहले 4 देशों का टूर्नामेंट जीता
भारत की जूनियर टीम ने कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में इस साल अपना जलवा दिखाया। लखनउ में जूनियर विश्व कप जीतने से पहले वालेंशिया में चार देशों का टूर्नामेंट जीता जिसमें जर्मनी और बेल्जियम जैसी टीमें थी। कोच हरेंद्र सिंह ने इस साल टीम के प्रदर्शन पर संतोष जताते हुए कहा ,‘‘ विश्व कप में खिताबी जीत भारतीय हाकी के लिये बहुत मायने रखती है। इसका प्रभाव 2018 में सीनियर विश्व कप में देखने को मिलेगा। भारतीय हाकी सही दिशा में जा रही है और यह टीम तोक्यो आेलंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीत सकती है।’’ भारत 2017 में विश्व हाकी लीग फाइनल और 2018 में सीनियर पुरूष विश्व कप की मेजबानी करेगा।


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