रिश्तों में सुधार के बाद हो सकता है भारत-पाक के बीच क्रिकेट: नजम सेठी

Wednesday, Aug 09, 2017 - 09:04 PM (IST)

कराचीः पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के नवनियुक्त अध्यक्ष नजम सेठी ने आज उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में सुधार होने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट श्रृंखला को फिर से शुरु किया जा सकता है।  पीसीबी के 30वें अध्यक्ष बनने के बाद सेठी ने कहा, ‘‘ भारत के साथ क्रिकेट खेलने को लेकर मैंने दरवाजे बंद नहीं किये हैं। मुझे लगता है कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आने के बाद बीसीसीआई को भारत सरकार से हमारे खिलाफ खेलने की अनुमति मिल सकती है।’’  सेठी ने यह साफ किया कि पीसीबी आईसीसी की ‘विवाद समाधान समिति’ के समक्ष बीसीसीआई से क्षतिपूॢत की मांग करेगा। 

उन्होंने बताया कि इसके लिये पीसीबी के कानूनी सलाहकार लंदन स्थित कानूनी सेवाऐं देने वाली कंपनी के संपर्क में है और क्षतिपूॢत का दावा करने संबंधी तैयारियों को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।  सेठी ने कहा कि पाकिस्तान यह भी मांग करेगा कि नवंबर में बेंगलुरु में होने वाले अंडर-19 एशिया कप को किसी तटस्थ स्थान पर कराया जाये। सेठी इस सप्ताह कोलंबो में एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) की बैठक में इसके अध्यक्ष बनेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान टीम को अभी भारत भेजने में समस्या है और इस मुद्दे पर एसीसी की बैठक में वह चर्चा करेंगे। सेठी ने कहा कि उनका मुख्य लक्ष्य आतंक से प्रभावित इस देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी करना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी चुनौतीपूर्ण होगी लेकिन यह उनका लक्ष्य है। सेठी ने कहा, ‘‘हमें धैर्य बरतने की जरूरत है क्योंकि यह देश की सुरक्षा स्थिति से जुड़ा है।’’ 

जिम्बाब्वे के खिलाफ 2015 में सीमित ओवरों की श्रृंखला को छोड़कर पाकिस्तान ने 2009 में श्रीलंकाई टीम पर आतंकी हमले के बाद किसी विदेशी टीम की मेजबानी नहीं की है।  सेठी ने कहा कि अगले महीने के प्रस्तावित विश्व एकादश के दौरे से देश में भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिये मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि तीन टी20 मैचों की श्रृंखला के लिये विश्व एकादश यहां का दौरा करेगी और अगले दो तीन महीनों में कुछ और अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। ’’ सेठी ने तीन साल के लिये पीसीबी के अध्यक्ष चुने गये हैं। इससे पहले वह 2013 में भी इस पद पर चुने गये थे तब वह अदालती कार्रवाई में ही फंसे रहे।   

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