''टवंटी-20 लीगों से खतरे में पड़ सकता है टेस्ट क्रिकेट''

punjabkesari.in Sunday, Jan 10, 2016 - 04:27 PM (IST)

मेलबोर्न: मौजूदा समय में ट्वंटी 20 क्रिकेट लीगों की बढ़ती चकाचौंध के बीच अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संघ (फीका) के मुख्य संचालन अधिकारी टोनी आयरिस ने आगाह करते हुए कहा है कि यदि क्रिकेट की वैश्विक संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने टेस्ट क्रिकेट के विकास के लिए कोई सुधारवादी कदम नहीं उठाए तो जल्द ही 5 दिनो तक चलने वाले क्रिकेट के इस पुराने प्रारूप का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। 
 
टोनी ने कहा कि फटाफट प्रारूप अपनी शुरुआत के साथ ही बेशुमार दौलत और चमक लेकर आया है जिसके प्रति खिलाड़ी और खेल प्रशंसक तेजी से खिंचे चले जा रहे हैं। बहुत से खिलाड़ियों ने इस बारे में शिकायतें भी दर्ज कराई हैं कि यदि टेस्ट क्रिकेट में जल्द ही कोई सुधारवादी कदम नहीं उठाये गए तो वे लीग की तरफ मुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ,बिग बैश लीग जैसी ट्वंटी-20 लीगों के प्रति झुकाव का मुख्य कारण अधिक पैसा मिलना भी है। आज भी बहुत से देश हैं जहां खिलाड़ियों को खराब आर्थिक स्थितियों से जूझना पड़ रहा है और फटाफट प्रारूप की इन लीगों में उन्हें अधिक पैसा मिलने की संभावना रहती है। आज भी आईसीसी के बड़े टूर्नामेंट तो सफल हैं लेकिन द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज की चमक फीकी पड़ती जा रही है।
 
 उल्लेखनीय है कि आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव रिचर्ड्सन ने 2019 तक टेस्ट प्रारूप में किसी भी प्रकार की संभावनाओ को खारिज कर दिया है। टोनी का इस बाबत कहना है कि यदि हम 2019 तक इंतजार करेेगें तो बहुत देर हो जायेगी। यह अवधि बहुत अधिक होती है और तब तक द्विपक्षीय टेस्ट सीरीजों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।  टोनी ने जहां अपनी राष्ट्रीय टीम वेस्टइंडीज को छोड़कर ट्वंटी-20 लीगों के लिये खेल रहे मुख्य दिग्गज क्रिकेटरों क्रिस गेल और ड्वेन ब्रावो का उदाहरण देते हुये आईसीसी को आगाह किया वहीं भारतीय और आस्ट्रेलियाई खिलाड़यिों की फटाफट प्रारूप में खेलने के बावजूद टेस्ट के विकास के लिए उनकी प्रतिबद्धता की सराहना भी की।  

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