मुझे कुछ भी साबित नहीं करना है, मेरा करियर सब कुछ बयां करता है: पेस

Thursday, Sep 14, 2017 - 07:21 PM (IST)

कोलकाता: उन्हें भले ही भारत की डेविस कप टीम में नहीं चुना गया है लेकिन दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस अभी इस खेल से संन्यास लेने के कतई मूड में नहीं हैं। पेस ने कहा कि अपने करियर के इस पड़ाव में उन्हें किसी के सामने कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है। पेस ने 1990 में 16 साल की उम्र में डेविस कप में पदार्पण किया था और उनके नाम पर इस टूर्नामेंट में सर्वाधिक 42 युगल जीत का संयुक्त रिकार्ड (निकोला पीटरांगली के साथ) दर्ज है। इस साल के शुरू में उज्बेकिस्तान के खिलाफ नये गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया था।

एक जमाने में अपने साथी रहे भूपति के इस रवैये के बाद भी 44 वर्षीय पेस ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और उन्होंने खुद स्वीकार किया कि वह इस खेल को दिलोजान से चाहते हैं और इसलिए खेलना जारी रखे हुए हैं। पेस ने कहा, ‘‘मुझे किसी के सामने कुछ साबित नहीं करना है। मेरा करियर सब कुछ बयां करता है। मैं अब भी इसलिए खेलता हूं क्योंकि मैं टेनिस को दिलोजान से चाहता हूं। मैं एक खिलाड़ी बने रहने को लेकर बेहद जुनूनी है और मैंने इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं अपने देश के लिये खेला तो मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। अपने देश, शहर और लोगों के लिये खेलने से मुझे आनंद मिला और मैंने खुद को सम्मानित महसूस किया। यहां तक कि जब मैं व्यक्तिगत मुकाबलों जैसे विंबलडन में भाग लेता हूं तो तब भी अपने देश के लिये खेलता हूं।’’ पेस ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर आप हमेशा अपना ध्वज ऊंचा देखना चाहते हो। आप अपने देश के बारे में बात करते हो। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा करियर लंबा रहा है और आज भी मैं पूरे जुनून के साथ खेलता हूं। ’’ 

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