नजरिया: सही दिशा में जा रहा भारतीय क्रिकेट टीम का चयन

Monday, Oct 01, 2018 - 01:08 PM (IST)

नेशन डेस्क (संजीव शर्मा): जिस देश में क्रिकेट के प्रति उन्माद भरा हो और क्रिकेटर भगवान की मानिंद पूजे जाते हों वहां क्रिकेट पर ज्ञान बांटना बर्र के छत्ते में हाथ डालने सरीखा है।  लेकिन इसके बावजूद हमारा मानना है कि ताजा टेस्ट टीम का चयन एक बढिय़ा और दूरगामी सोच को दर्शाता है। बेस्ट इंडीज के खिलाफ जो टीम चुनी गई है उसमे रोहित शर्मा, शिखर धवन , करूण नायर के नाम नहीं हैं। जबकि राहुल के साथ मयंक अग्रवाल की वापसी हुई है और पृथ्वी शा को भी स्थान दिया गया है। अब ऐसे अवसर पर जब रोहित शर्मा एशिया कप घर लाए हों और उसी टूर्नामेंट में शिखर धवन आयोजन के सबसे श्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए हों तब उनको बाहर किए जाने पर कई सवाल सामने खड़े हो जाते हैं। क्यों रोहित नहीं , क्यों शिखर नहीं आदि आदि। करुण नायर, वीरेंद्र सहवाग के बाद एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने देश के लिए टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाया है। ऐसे में उनको बाहर रखना भी प्रश्नवाचक व्यवस्था में शामिल होता है। एक तरह से इस चयन पर बीसीसीआई से लेकर गांव की गलियों तक चर्चा छिड़ गई है। 



हरभजन सिंह ने तो सरेआम चयनकर्ताओं पर गुस्सा निकाला है। वैसे वे तबसे गुस्सा हैं जबसे उनको निकाला है। खैर हमारा मानना है कि चयनकर्ताओं ने एक दीर्घकालीन प्लानिंग को ध्यान में रखकर यह चयन किया है। पहले तो यह जान लें कि बेस्ट इंडीज की टीम अब वैसी नहीं है जैसा एक दशक पहले हुआ करती थी। भारत के मुकाबले उसे कमजोर माना जाना कोई गलत नहीं है। टेस्ट , एकदिनी और फटाफट की यह सीरीज भारत में ही खेली जानी है। और हमारी टीम अपने उपमहाद्वीप में शेर है यह अभी पांच दिन पहले ही साबित हुआ है। जो शिखर धवन  पिछले महीने इंग्लैंड में घुटनो पर थे वही बांग्लादेश में पंजों के बल नजर आए। यानी घरेलू पिचों पर हमारे फ्लॉप खिलाड़ी भी फॉर्म में आ जाते हैं।  ऐसे में अगर कुछ सीनियर्स को आराम दिया गया है और नए लोगों को आजमाया जा रहा है तो इसमें कोई गलत भी नहीं है। 



नए खिलाडिय़ों को टीम से जोडऩे का यही सही मौका है। जिन्हें घर में टीम के साथ खेलने का अनुभव नहीं होगा अगर उनको सीधे विदेशी धरती पर खेलने उतारेंगे तो नतीजा क्या होगा यह बताने की जरूरत नहीं।  वैसे भी विदेश में टीम को अपने सबसे दिग्गज उतारने होते हैं ऐसे में नए खिलाडिय़ों को मौका ही नहीं मिलता। इस लिहाज से कमजोर विरोधी के सामने घरेलू माहौल में नए लड़कों को मौका देना एक उचित कदम है। इस तरह से आप अपनी बेंच स्ट्रेंथ को बढ़ा सकते हैं जो आगे चलकर काम आएगी। हालांकि यही काम गेंदबाजी विभाग में भी उठाया जाना चाहिए था। लेकिन वहां ऐसा शायद इसलिए नहीं किया गया क्योंकि एक लम्बे अरसे के बाद गेंदबाजी प्रभावी नजर आ रही है और बल्लेबाजों का बोझ गेंदबाजों ने अब बांटना शुरू कर दिया है। इस लिहाज से रोहित और शिखर के मामलों को इस तरह से देखना चाहिए कि उनको को आराम देकर ऊर्जा हासिल करने का मौका दिया गया है। 



वेस्ट इंडीज के साथ भारत स्वदेश में 2 टेस्ट, 5 वनडे और 3 टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगा। टेस्ट सीरीज का पहला मैच 4 से 8 अक्टूबर के बीच राजकोट में और दूसरा 12 से 16 अक्टूबर के दौरान हैदराबाद में खेला जाएगा। टेस्ट सीरीज के बाद दोनों टीमें 21 अक्टूबर से 5 मैचों की वनडे सीरीज खेलेंगी। वनडे सीरीज का पहला मैच 21 अक्टूबर को गुवाहाटी, दूसरा 24 को इंदौर, तीसरा 27 को पुणे, 29 को मुंबई और 5वां एक नवंबर को तिरुवनंतपुरम में होगा। ऐसे में रोहित और शिखर अल्पविराम के बाद तरोताजा होकर लौटेंगे और एकदिवसीय और फटाफट मैचों में आप उन्हें खेलते देखेंगे या तो तय ही है। हालाँकि  करूण  नायर के साथ थोड़ी ज्यादती जरूर हुई है ।  इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में लगाए  तिहरे शतक के बाद डेढ़ साल से वे टीम के साथ भ्रमण  कर रहे थे लेकिन मौका नहीं मिला।  ऐसा ही कहीं पृथ्वी शा  के साथ न हो इसका  भी ख्याल रखना होगा।  बाकी ताज़ा चयन  उस ओर  बढ़ता दिख रहा है जहां हमारे पास  कुछ साझा  योद्धाओं के साथ एक ऐसी टीम होगी जिसमे टेस्ट के  विशेषज्ञ अलग, एकदनि क्रिकेट के अलग और फटाफट क्रिकेट के अलग खिलाड़ी उपलब्ध होंगे।  और ऐसा करना ही होगा तभी शिखर पर बने रहेंगे।  सभी फार्मेट में एक ही टीम  के साथ नहीं जाया जा सकता।  

Anil dev

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