पुरुष खिलाडिय़ों के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं राष्ट्रीय कोच गोपीचंद

Saturday, Apr 01, 2017 - 05:40 PM (IST)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद इंडिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारतीय पुरुष एकल खिलाडिय़ों के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है और उनका मानना है कि इन खिलाडिय़ों को अपना प्रदर्शन सुधारने की जरुरत है। गोपीचंद शनिवार को यहां योनेक्स के चेयरमैन बेन योनेयामा और सनराइज इंडिया के एमडी विक्रम धर के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर योनेयामा ने घोषणा की कि योनेक्स इंडिया बेंगलुुरु में अपनी फैक्ट्री से भारत में ही विश्व स्तरीय बैडमिंटन रैकेट का निर्माण करेगी।  

राष्ट्रीय कोच गोपीचंद ने इस मौके पर कहा कि भारतीय बैडमिंटन बेहतर कोङ्क्षचग व्यवस्था से आज उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां दूसरे देश हमारे खिलाडिय़ों का लोहा मानने लगे हैं। खिलाडिय़ों की तरक्की से ही खेल की भी तरक्की होती है और इसके लिये हमें चैंपियन पैदा करने की भी जरुरत है। यह पूछने पर कि क्या वह इंडिया ओपन टूर्नामेंट में भारतीय पुरुष एकल खिलाडिय़ों के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं जिनमें से सिर्फ समीर वर्मा ही क्वार्टरफाइनल तक पहुंच सके, गोपीचंद ने कहा कि दुनिया की शीर्ष 30 रैंकिंग में हमारे कई खिलाड़ी मौजूद है। लेकिन जहां तक इंडियन ओपन की बात है तो समीर और सौरभ अपने-अपने मैच बढ़त बनाने के बाद हारे जबकि उन्हें अपने मैच जीतने की कोशिश करनी चाहिये थी।

गोपीचंद ने साथ ही कहा कि हमारे पास किदांबी श्रीकांत, समीर, एचएस प्रणय और सौरभ जैसे युवा खिलाड़ी मौजूद हैं जिनमें काफी प्रतिभा है लेकिन इन्हें परिपक्व होने में समय लगेगा। इन्हें कुछ समय देने की जरुरत है। लेकिन मैं इतना कहना चाहूंगा कि हम बैडमिंटन में सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और पुुरुष वर्ग में भी महिला खिलाडिय़ों की तरह चैंपियन तैयार कर सकेंगे। युगल खिलाडिय़ों के मुद्दे पर राष्ट्रीय कोच ने कहा कि मिश्रित युगल में हमारे पास प्रणव चोपड़ा और एन सिक्की रेड्डी के रूप में शीर्ष 15 में एक जोड़ी मौजूद है जबकि सात्विक सैराज और चिराग शेट्टी ने हाल में वियतनाम ओपन का खिताब जीता था। पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन और द्रोणाचार्य अवार्डी गोपी ने कहा कि हमने पिछले कुछ वर्षाें में अच्छे परिणाम दिये हैं। एक-दो टूर्नामेंटों के परिणाम के आधार पर सारा अंदाजा नहीं लगाना चाहिए। हां यह सही है कि हमें सुधार करना चाहिये जो हम कर रहे हैं।
 

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