ध्यानचंद के लिए भारत रत्न मांगना सही नहीं: बंसल

punjabkesari.in Sunday, Aug 27, 2017 - 05:59 PM (IST)

नई दिल्ली: मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने के लिए पिछले कई वर्षों से अपील की जा रही है लेकिन भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच ए के बंसल ने आज इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस तरह की मांगों का मतलब हॉकी के जादूगर की उपलब्धियों को कम करना होगा।   दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए) और भारतीय शीरीरिक शिक्षा फाउंडेशन (पीईएफआई) के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय खेल दिवस के महत्व’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता बंसल ने कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता कि हम दद्दा के लिए भारत रत्न क्यों मांग रहे हैं।

ऐसा करके हम दद्दा की उपलब्धियों का मान कम कर रहे हैं। उनका कद इस सम्मान से भी बड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब जब तक उन्हें यह सम्मान नहीं मिलता तब तक ऐसी मांग उठती रहेगी। मैं भी मानता हूं कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए। इससे भारत रत्न का मान ही बढ़ेगा।’’ ओलंपियन मुक्केबाज अखिल कुमार ने इस अवसर पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में खेल संस्कृति का विकास अब भी नहीं हो पाया है। हमें स्कूलों से इसकी शुरूआत करनी चाहिए। हमारे देश में अब भी लोगों में खेलों के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है।’’

खेलों में मनौवैज्ञानिकों को जोडऩे के सवाल पर अखिल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि किसी खिलाड़ी को मनोवैज्ञानिक की जरूरत होती है। जिस खिलाड़ी को खुद पर विश्वास नहीं होता है वही मनोवैज्ञानिक के पास जाएगा। मुझे कभी मनोवैज्ञानिक की जरूरत नहीं पड़ी।’’ राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता ने एक सवाल के जवाब में डोपिंग की शिक्षा शुरूआती स्तर से प्रदान करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘शारीरिक शिक्षकों को डोपिंग का ज्ञान होना जरूरी है। अगर उन्हें इसके बारे में पता होगा तो वे निचले स्तर पर ही खिलाडिय़ों को प्रतिबंधित दवाईयों के बारे में अवगत करा सकते हैं।’’

अर्जुन पुरस्कार विजेता जुडोका यशपाल सोलंकी ने सभी पूर्व खिलाडिय़ों को उनके खेलों से जोड़े रखने पर जोर दिया ताकि वे भविष्य में अच्छे खिलाड़ी तैयार करने में मदद कर सकें।   लगातार 20 साल तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे सोलंकी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे परिणाम देने वाले 90 प्रतिशत खिलाड़ी अपने इस खेल को वापस कुछ नहीं दे पाते हैं और इसके लिये सरकार भी दोषी है जो इन खिलाडिय़ों का सही उपयोग नहीं कर पाती है।’’ अपने जमाने की मशहूर मैराथन धाविका सुनीता गोदारा ने कहा, ‘‘अगर प्रत्येक खिलाड़ी संन्यास लेने के बाद अपने खेल को बढ़ावा देने के लिये प्रयास करता है तो इसके सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।’’ 
 
 


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