क्या भारत 1987, 96 का इतिहास फिर से तो नहीं दोहराएगा?

Wednesday, Mar 04, 2015 - 03:05 AM (IST)

जालन्धर(स.ह.): चिर-प्रतिद्वंद्वियों भारत और पाकिस्तान के इस विश्व कप में प्रदर्शन को देखते हुए उनके पुराने आंकड़ों पर ध्यान जाता है। जहां भारत 1987 और 1996 के विश्व कप में अपने शुरूआती मैचों में शानदार प्रदर्शन करते हुए विश्व कप का खिताब नहीं जीत सका वहीं पाकिस्तान अपनी खराब शुरूआत के बावजूद भी 1992 में विश्व चैम्पियन बना था। भारत ने इस बार अपने ग्रुप में पहले 3 मैचों में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीनों मैचों में जीत दर्ज की। उसने पहले में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 76 रनों से कुचल कर टूर्नामैंट का शानदार आगाज किया।

फिर दूसरे मैच में मजबूत दक्षिण अफ्रीका को 130 रनों से हराकर विश्व कप में कभी न जीतने सकने के मिथक को तोड़ दिया। यह पहली बार था जब भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की। वहीं तीसरे मुकाबले में यू.ए.ई. को 9 विकेट से हराकर गत चैम्पियन भारत ने अपने खिताब बचाने की मुहिम को मजबूती देते हुए विरोधियों के चेताया की वे उसे कम ने आंकें। लेकिन जब हम 1987 और 1996 के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो यह प्रश्र उठने लगाता है कि कहीं भारत फिर से वह इतिहास न दोहरा दे क्योंकि उन टूर्नामैंट में भी भारत ने अपने शुरूआती मैच में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन वह खिताब नहीं जीत सकी थी।

1987 में भारत सैमीफाइनल में पहुंचा लेकिन उसे इंगलैंड के हाथों 35 रनों से मात खानी पड़ी। वहीं 1996 में भी भारत को सैमीफाइनल में श्रीलंका से 14 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन यह भी एक रोमांचक बात है कि 2011 में भारत ने सिर्फ ग्रुप वर्ग में एक ही मैच गंवाया था फिर भी खिताब जीतने में कामयाब हो गया था। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की बात की जाए तो वह इस बार टूर्नामैंट में काफी कमजोर दिख रही है और उसने अपने शुरूआती मैचों में काफी खराब प्रदर्शन किया है।

हालांकि उसने 3 मैचों में एक जीत के साथ अभी तक आशा नहीं छोड़ी है लेकिन उसकी उम्मीदें कमजोर टीमों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी कि वह आगे बढ़ेगा या नहीं। अगर उसके इतिहास पर नजर डालें तो 1992 में उसने ग्रुप वर्ग में अपने 3 मुकाबले गंवाने के बाद ऐसी वापसी की थी कि फाइनल में उसने इंगलैंड को 22 रनों से हराकर खिताब पर कब्जा कर लिया था।

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