क्या पदमिनी जीतेंगी लगातार चौंथा राष्ट्रीय महिला शतरंज खिताब !

Saturday, Dec 02, 2017 - 07:38 AM (IST)

सूरत में चल रही 44वीं  नेशनल महिला प्रीमियर शतरंज स्पर्धा में प्रतियोगिता नें अपना आधा पड़ाव पार कर लिया है और 11 राउंड के इस मुक़ाबले में 6 राउंड के बाद वर्तमान  राष्ट्रीय चैम्पियन पदमिनी राऊत  लगातार अपने चौंथे राष्ट्रीय खिताब की ओर बढ़ती नजर आ रही है । उन्होने इससे पहले 2014 में सांगली में ,2015 में कोलकाता में और 2016 में नई दिल्ली में यह खिताब अपने नाम करते हुए ख़िताबी हेट्रिक पहले ही पूरी कर की थी । लगातार खिताब जीतने के मामले में  एस विजयालक्ष्मी (5) सबसे आगे है जबकि रोहनी खादिलकर (3) और मेरी गोम्स (3) की बराबरी वह पहले ही कर चुकी है । 

अगर इतिहास में नजर डाले तो  भारतीय महिला शतरंज प्रतियोगिता की आधिकारिक शुरुआत सन 1974 में बेंगलोर से हुई थी 

और सही मायनों में उसे अपना पहला बड़ा चेहरा 1976 में मात्र 13 वर्ष की रोहनी खादिलकर के रूप में मिला उन्होने 1976 (कोट्टायम ) .1977 (हैदराबाद ) ,1979 (चेन्नई ) में लगातार तीन राष्ट्रीय खिताब और 1981 (नई दिल्ली ) और 1983 (कोट्टायम ) में मिलाकर कुल 5 राष्ट्रीय खिताब जीते । 1981 (हैदराबाद ) और 1983 ( मलेशिया ) मैं उन्होने एशियन विजेता होने का गौरव हासिल हुआ । वर्ष 1981 में वह इंटरनेशनल मास्टर बनी और 1980 में उन्हे अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया । तब तत्कालीन खुद प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी नें उन्हे शतरंज का भारतीय प्रतिनिधि घोषित करते हुए दुनिया भर में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था ।

उनके बाद यह कारनामा किया तामिलनाडु की सुब्बारमन नें जिन्होने 1998 से 2002 तक लगातार क्रमशः मुंबई ,कोझिकोड ,मुंबई ,नई दिल्ली और लखनऊ में यह खिताब अपने नाम किया उन्होने यह खिताब सर्वाधिक 6 बार जीता और उन्होने अपना सबसे पहला खिताब तो चेन्नई में 1995 में ही जीत लिया था । वह इंटरनेशनल मास्टर और महिला ग्रांड मास्टर खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी भी बनी । 

इसके बाद लगातार तीन खिताब जीतने का काम किया मैरी  एन गोम्स ने उन्होने वर्ष 2011-13 के बीच चेन्नई ,जलगाव और कोलकाता में यह कारनामा किया । महिला ग्रांड मास्टर का खिताब रखने वाली मैरी नें भारत के लिए एक अंडर 16 और तीन अंडर 20 के एशियन खिताब भी अपने नाम किए । 

हालांकि सबसे ज्यादा बार खिताब जीतने पर 161 में जन्मी भाग्यश्री थिप्से का नाम भी आता है उन्होने यह खिताब 1985, 1986, 1988, 1991 और 1994 में क्रमश: यह खिताब नागपूर ,जालंधर ,कुरुक्षेत्र ,कोझिकोड और बेंगलोर में अपने नाम किए । उन्हे अर्जुन अवार्ड और पद्म श्री अवार्ड भी भारत सरकार की ओर से दिया गया । 

 

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