भगवान शिव से जुड़े इन रहस्यो के बारे में बता रहे लेखक अंशुल पांडे

punjabkesari.in Sunday, Sep 18, 2022 - 01:25 AM (IST)

नई दिल्ली। हम सभी ने कहानियों और व्हाट्सएप स्टेटस देखे हैं, जिनमें भगवान शिव गांजा, चरस आदि का सेवन करते हुए दिखते हैं या फिर हम इसे ठेठ देसी तरीके से कहें, तो गांजा पीते हुए दिखते हैं। दरअसल भांग का संबंध नशे से भी है, लेकिन क्या यह सच है कि महादेव इनमें से किसी भी मादक पदार्थ का सेवन करते हैं? हमने भारत के उभरते हुए युवा लेखक अंशुल पांडे से संपर्क किया, जो एक उत्साही ट्विटर सनसनी हैं, जिन्होंने हाल ही में मुख्यधारा के प्रकाशन में पदार्पण किया है। आईये जानते हैं हमने उनसे कई नए सत्य: 

भांग एक ऐसा पौधा है जिसे आप खा सकते हैं। भारत में लोग लंबे समय से अलग-अलग उपयोगों के लिए इस पौधे के अलग-अलग हिस्सों का प्रयोग करते आ रहे हैं। कुछ मिथ्या अथवा दोषपूर्ण जानकारी और जानकारी के आभाव वाले लोग इसका उपयोग भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए करते हैं, और कुछ डॉक्टर इसके स्वास्थ्य लाभ के लिए भी सलाह देते हैं, जबकि अज्ञानी और जो शिव में विश्वास नहीं करते हैं, वे इसका उपयोग केवल झूठा रायता फैलाने और नशा करने के लिए करते हैं।

अंशुल ने बताया, “मैंने हमेशा प्रमाण सहित स्पष्ट किया है कि किसी भी शास्त्र में कहीं भी ऐसा उल्लेख नही है कि भगवान शिव ने चरस, भांग अथवा गांजे का सेवन किया था। भगवान् शिव की छंभक्ति में गहरी श्रद्धा और समर्पण की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा,”भले ही आधुनिक विज्ञान कहता है कि भांग का उपयोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए, खासकर जब कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को रोकने की बात आती है, तो कुछ लोग अभी भी ऐसा करने के लिए आगे बढ़ते हैं। इसका उपयोग दर्द के उपचार के लिए भी किया जाता है, विशेष रूप से ऐंठन के कारण होने वाले दर्द।“ 

अंशुल ने एक लोकप्रिय मिथक पर चर्चा करते हुए बताया कि मंदराचल मंथन के बाद, भगवान् शिव ने विषपान किया था जिसके कारण उनके कंठ में घाव हो गया था। इसलिए, माता पार्वती ने भांग, दूध और शक्कर आदि के मिश्रण से एक पेय बनाया था जो की शास्त्रों में इस कहानी का कही उल्लेख नहीं मिलता सिर्फ रायता फैलाया जा रहा है। बहुत से लोग सोचते हैं कि शिव चरस, गंजा अथवा भांग का सेवन करते हैं और नशे में टुन्न रहते हैं जैसा की उनकी एक कलाकृति आजकल देखने को मिलती है जिसमें उन्हें एक चिलम से चरस अथवा गांजा का धूम्रपान करते हुए दिखाया गया है। लेकिन सत्य यह है कि प्रामाणिक वृत्तांतों और शास्त्रों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है।

इसके अतिरिक्त, किसी भी महान आध्यात्मिक महापुरुष ने ऐसा कभी नहीं कहा है कि चरस, गंजे का नशा करके भगवान् शिव की पूजा करने का एक अच्छा और उचित माध्यम है। लेखक अंशुल कहते हैं कि 'हालांकि यह सच है कि अथर्ववेद भांग पौधे की चर्चा करता है. क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन  इसका कोई संदर्भ नहीं है कि शिव नशे में रहते थे, यह सत्य है की शिव की को विजया चढ़ाया जाता है पर कही नही जिक्र है की नशे मैं धुत्त रहे। वह आगे कहते हैं कि 'यह सत्य  है कि लोगों ने व्हाट्सएप फॉरवर्डेड और सोशल मीडिया पर साझा होने वाले चित्रों अथवा विडियोज में इन चीजों को देखा है। लेकिन क्या आपने कभी पूछा है कि वे कहाँ से आए हैं?  इसका सोर्स कहा है? इसका उत्तर यह है कि शिव पुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण या बृहद धर्म पुराण जैसे शिव के चारों ओर घूमने वाले किसी भी शास्त्र में इसका उल्लेख तक नहीं किया गया है।

शिवोपनिषद और वेद भी शिव के नशे में होने की बात नहीं करते। जो लोग आपको इस तरह की तस्वीरें भेजते हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें वे कहां से मिले? कौन से शास्त्र में मिले अथवा किस शास्त्र पर आधारित हैं? 

जी हाँ, ऐसा कहा गया है कि इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि यह शिव उपासना या उनकी जीवनशैली का हिस्सा रहा है। अंत में, अंशुल मुखर होकर पूछते हैं 'भगवान शिव ने शास्त्रों के अनुसार विष पिया है तो क्या आप भी विष पान करेंगे?  इसके बारे में विचार करिये आपको स्वतः उत्तर मिल जाएगा।


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Content Writer

Deepender Thakur

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