मूर्ति पूजा को न मानने वाले पढ़ें यह सत्य कहानी, बदल जाएगा सोचने का तरीका

Saturday, Jun 18, 2016 - 01:56 PM (IST)

राजस्थान के जयपुर शहर में एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम था श्रीचन्द्र शर्मा। उसके घर में श्रीरसिक राय नाम के श्रीविग्रह थे (श्रीकृष्ण की मूर्ति)। किसी कारणवश उससे सेवा ठीक से नहीं हो पा रही थी। ऐसे में भगवान जगन्नाथ जी, एक रात उसके स्वप्न में आए। आपने उस ब्राह्मण से कहा,  "तुम इन विग्रहों की सेवा पुरुषोत्तम धाम में श्री गंगा माता जी को दे दो । इससे तुम्हारे सारे अपराध और भय दूर हो जाएंगे।"  
 
आदेश के अनुसार वो ब्राह्मण देव श्रीमती राधा जी व श्रीरसिक राय विग्रहों को लेकर श्रीक्षेत्र में गंगा माता जी के पास पहुंचे। उन्होंने श्रीमती गंगा माता गोस्वामिनी जी को श्रीविग्रह की सेवा के लिए प्रार्थना की। पहले तो श्रीमती गंगा माता गोस्वामिनी जी ने उसे ग्रहण करना अस्वीकार कर दिया, कारण यह की, आपके लिए श्रीविग्रहों की राज-सेवा चलानी असंभव थी, परंतु बाद में वो ब्राह्मण द्वारा तुलसी के बगीचे में ही विग्रहों को छोड़कर चले जाने पर श्रीरसिक राय जी ने स्वयं ही अपनी सेवा के लिए गंगा माता जी को स्वप्न में आदेश दिया। 
 
स्वप्न में आदेश मिलने पर गंगा माता जी ने उल्लास के साथ श्री विग्रहों का प्रकट उत्सव मनाया। श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ने अपनी रचना 'श्रीगौरपार्षद और गौड़ीयवैष्णाचार्यों का संक्षिप्त चरितामृत' में बताया है कि गंगा माता जी 1601 ई के ज्येष्ठ मास की शुक्लातिथि को आविर्भूत हुई तथा सन 1721 ई में आपने नित्यलीला में प्रवेश किया। आप श्रीगदाधर पण्डित गोस्वामी जी की शिष्य परम्परा में हैं। आप के पिताजी द्वारा दिया गया नाम था श्री शची देवी। आप बंगलादेश के राजशाही जिले के पुंटिया के राजा श्री नरेश नारायण की कन्या थीं।
 
श्रीचैतन्य गौड़िया मठ की ओर से
श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज
bhakti.vichar.vishnu@gmail.com 
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