ध्यान रखनी होंगी ये बातें, तभी जीवन से कठिनाइयां और परेशानियां होंगी छू मंतर

Saturday, May 07, 2016 - 11:41 AM (IST)

पुराने समय की बात है। किसी नगर में एक भोला नाम का व्यक्ति रहता था। भोला दिन भर खेतों में काम करता और खेत में उगाए अन्न से ही उसके परिवार का गुजारा चलता था। भोला ने बचपन से ही गरीबी का सामना किया था। उसके माता-पिता बेहद गरीब थे। ऐसे ही एक दिन भोला एक साधु के पास पहुंचा और उन्हें सारी परेशानी बताई कि कैसे मैं अपनी जिंदगी की कठिनाइयों का सामना करूं? एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है।
 
साधु महाराज हंसकर बोले कि तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारी परेशानी का हल बताता हूं। साधु भोला को लेकर एक नदी के किनारे पहुंचे और बोले, ‘‘मैं नदी के दूसरी पार जाकर तुमको परेशानी का हल बताऊंगा। यह कहकर साधु नदी के किनारे खड़े हो गए।’’
 
 नदी के किनारे खड़े-खड़े जब बहुत देर हो गई, भोला बड़ा आश्चर्यचकित होकर बोला, ‘‘महाराज हमें तो नदी पार करनी है तो हम इतनी देर से किनारे पर क्यों खड़े हैं।’’
 
साधु महाराज बोले, ‘‘बेटा मैं इस नदी के पानी के सूखने का इंतजार कर रहा हूं, जब यह सूख जाएगा फिर आराम से नदी पार कर लेंगे।’’
 
भोला को साधु की बातें मूर्खतापूर्ण लगीं, वह बोला, ‘‘महाराज नदी का पानी कैसे सूख सकता है।’’ 
 
साधु हंसकर बोले, ‘‘बेटा यही तो मैं तुमको समझाना चाहता हूं यह जीवन नदी है और समस्या पानी की तरह है। जब तुमको पता है कि नदी का पानी नहीं सूखेगा तो तुमको खुद प्रयास करके नदी को पार करना होगा। वैसे ही जीवन में समस्याएं तो चलती रहेंगी तुमको अपने प्रयासों से इन परेशानियों से पार पाना है। अगर किनारे बैठकर नदी का पानी सूखने का इंतजार करोगे तो जीवन भर कुछ नहीं पा सकोगे। पानी तो बहता रहेगा, समस्याएं तो आती रहेंगी लेकिन आपको नदी की धार को चीरते हुए आगे जाना होगा, हर समस्या को धराशायी करना होगा। तभी जीवन में आगे बढ़ सकोगे।’’
 
हमारी जिंदगी में कुछ ऐसा ही होता है। हम हमेशा सोचते हैं कि यह परेशानी खत्म हो जाए तब जीवन सुखी होगा, कभी वह परेशानी सुलझ जाए तब जीवन सुखी होगा लेकिन मेरे दोस्त यह समस्या ही नदी का पानी है, नदी तो बहती रहेगी तुमको पार जाना है, धारा चीरकर आगे बढ़ते जाएं।
 
 
 
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