ज्ञान को प्राप्त करने की विचित्र प्रक्रिया, केवल हिम्मत वाले लोग करें प्रयोग
punjabkesari.in Friday, Apr 01, 2016 - 10:05 AM (IST)

एक विद्यार्थी था। उसे विविध विषयों पर ज्ञान की प्राप्ति का बड़ा शौक था। उसने प्रकांड विद्वान सुकरात का नाम सुन रखा था। ज्ञान की लालसा में एक दिन अंतत: वह सुकरात के पास पहुंच ही गया और उनसे पूछा कि वह भी किस तरह से उनकी तरह प्रकांड पंडित बन सकता है। सुकरात बहुत कम बात करते थे। विद्यार्थी को यह बात बोलकर बताने की बजाय उसे वह समुद्र तट पर ले गए। जब किसी बात को सिद्ध करना होता था तब सुकरात इसी तरह की विचित्र किस्म की विधियां अपनाते थे। समुद्र तट पर पहुंच कर वह बिना अपने कपड़े उतारे समुद्र के पानी में उतर गए।
विद्यार्थी ने समझा कि यह भी ज्ञान प्राप्ति का कोई तरीका है अत: वह भी सुकरात के पीछे-पीछे कपड़ों सहित समुद्र के गहरे पानी में उतर पड़ा। अब सुकरात पलटे और विद्यार्थी के सिर को पानी में बलपूर्वक डुबा दिया। विद्यार्थी को लगा कि यह कुछ बपतिस्मा जैसा करिश्मा हो जिसमें ज्ञान स्वयंमेव प्राप्त हो जाता हो। उसने प्रसन्नतापूर्वक अपना सिर पानी में डाल लिया परन्तु एकाध मिनट बाद जब उस विद्यार्थी को सांस लेने में समस्या हुई तो उसने अपना पूरा जोर लगाकर सुकरात का हाथ हटाया और अपना सिर पानी से बाहर कर लिया।
हांपते हुए और गुस्से से उसने सुकरात से कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हो आप? आपने तो मुझे मार ही डाला था।’’
जवाब में सुकरात ने विनम्रतापूर्वक विद्यार्थी से पूछा, ‘‘जब तुम्हारा सिर पानी के भीतर था तो सबसे ज्यादा जरूरी वह क्या चीज थी जो तुम चाहते थे?’’
विद्यार्थी ने उसी गुस्से में कहा, ‘‘सांस लेना चाहता था और क्या!’’
सुकरात ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘‘जिस बदहवासी से तुम पानी के भीतर सांस लेने के लिए जीवटता दिखा रहे थे, वैसी ही जीवटता जिस दिन तुम ज्ञान प्राप्ति के लिए अपनी भीतर पैदा कर लोगे तो समझना कि तुम्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है।’’