भगवान पर विश्वास करने वाले भक्त ऐसी गलती कभी नहीं करते

Thursday, Oct 08, 2015 - 08:30 AM (IST)

एक गांव में एक साल बरसात नहीं हुई। मानो वरुण देवता रूठ गए हों। बिना बरसात के लोग तड़पने लगे। अकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई। गांव में एक साधु महाराज थे। सभी गांव वालों को उन पर बहुत भरोसा था। बेहाल गांव वाले साधु महाराज के पास गए और कोई उपाय सुझाने की प्रार्थना करने लगे। साधु महाराज ने उनकी बात तो मान ली लेकिन सबसे एक सवाल पूछा, ‘आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं? सबने ‘हां’ में जवाब दिया। 
 
उस पर साधु महाराज ने कहा, ‘हम सब मिलकर इस गुरुवार के दिन बरसात के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे। आपके मन में इस बात के प्रति पूरी श्रद्धा होनी चाहिए कि हमारी प्रार्थना ईश्वर जरूर सुनेंगे। इतनी श्रद्धा तो आपकी प्रार्थना में है न? फिर सबने ‘हां’ कहा।’ तो आप सब इस गुरुवार को गांव के बड़े मंदिर में आइए, ईश्वर की तहेदिल से प्रार्थना कीजिए। इस बात पर श्रद्धा रखिए कि आपकी प्रार्थना ईश्वर जरूर सुनेंगे।’
 
गुरुवार का दिन आया। सभी गांव वाले मंदिर में उपस्थित हो गए। काफी देर तक सबने मिलकर ईश्वर की प्रार्थना की। बरसात होने की राह देखने लगे। काफी समय बीत गया लेकिन बरसात नहीं हुई। सब लोग अधीर हो गए। वे साधु महाराज के पास आए और पूछने लगे, ‘महाराज आपके कहने पर हमने ईश्वर से प्रार्थना तो की लेकिन बरसात नहीं हुई ऐसा क्यों?’ 
 
साधु महाराज गम्भीर हो गए। उन्होंने सभी गांव वालों से एक ही सवाल पूछा, ‘मंदिर में आते समय आप में से कितने लोग छाता लेकर आए हैं? जो लाए हैं वे अपना हाथ ऊपर उठाएं।’ 
 
किसी का भी हाथ ऊपर नहीं उठा। यह देखकर साधु महाराज ने लोगों से कहा, ‘देखिए, कितनी श्रद्धा है आपकी ईश्वर पर। आपके मन में यहां आते समय यह श्रद्धा होती कि प्रार्थना करने पर ईश्वर की कृपा होगी और बरसात अवश्य होगी, तो मंदिर आते समय आप सब साथ में छाता ले आते लेकिन आपकी तो ईश्वर पर ऐसी श्रद्धा थी ही नहीं। 
 

इसलिए कोई भी छाता साथ नहीं लाया। जब मन में श्रद्धा ही नहीं तो उसका फल कैसे मिलेगा?’ साधु महाराज के कहने पर सभी गांववालों की गर्दनें झुक गईं। उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया। 

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