रहस्य: पुण्य पाने की इच्छा से किए गए काम भी ले जाते हैं नरक के द्वार

Tuesday, Oct 06, 2015 - 04:36 PM (IST)

किसी नगर में रहने वाले एक ख्याति प्राप्त संत को एक रात सोते समय स्वप्न आया कि उनकी मृत्यु हो चुकी है और वह किसी और लोक में देवदूत के सामने खड़े हैं। देवदूत ने उनसे पूछा, ‘‘अपने जीवन में किए ऐसे अच्छे काम बताएं, जिनका आपको पुण्य मिला हो।’’ 
 
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देवदूत की बात सुनकर संत सोचने लगे कि मेरा तो सारा जीवन ही अच्छे कामों में बीता है, मैं कौन-सा काम बताऊं। कुछ सोचने के बाद वह बोले, ‘‘मैं पांच बार सभी तीर्थों के दर्शन कर चुका हूं।’’ 
 
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देवदूत बोला, ‘‘आपने तीर्थयात्राएं कीं लेकिन आप अपने इस कार्य का जिक्र हर व्यक्ति से करते रहे। इसके कारण आपके सारे पुण्य नष्ट हो गए।’’ 
 
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देवदूत की बात सुन संत को ग्लानि होने लगी। कुछ हिम्मत कर उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रतिदिन भगवान का ध्यान और उनके नाम का स्मरण करता था।’’ 
 
इस पर देवदूत ने कहा, ‘‘जब आप ध्यान करते और कोई दूसरा व्यक्ति वहां आ जाता तो आप कुछ अधिक समय तक जप-ध्यान में बैठे रहते, जो दिखावा होता।’’
 
यह सुनने के बाद तो संत का हृदय कांपने लगा। उन्हें लगा कि उनकी अब तक की सारी तपस्या बेकार चली गई। देवदूत ने आगे कहा, ‘‘आप कोई और पुण्य का काम बताएं।’’ 
 
संत को अपना ऐसा कोई काम याद नहीं आ रहा था। उनकी आंखों में पश्चाताप के आंसू आ गए। तभी उनकी नींद टूट गई। स्वप्न की इस घटना से उन्हें अपने मन में छिपी कमजोरियों को परखने का मौका मिला। उन्होंने उसी दिन से सबसे मिलना-जुलना और प्रवचन इत्यादि छोड़ दिए और एकनिष्ठ भाव से प्रभु की साधना में तल्लीन हो गए।
 

तात्पर्य यह कि धर्म और अध्यात्म के स्तर पर किए गए कार्य भी कई बार प्रदर्शन, नाम और यश आदि सांसारिक कामनाओं में उलझे होते हैं। यदि इनके प्रति सचेत न रहा जाए तो ये हमारी प्रगति में बाधक हो सकते हैं। 

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