धर्म निभाने के लिए छोड़ा जीवन संगिनी का साथ और फिर हुआ कुछ ऐसा...

Wednesday, Sep 16, 2015 - 08:40 AM (IST)

बहुत पहले गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील थे। एक बार वह किसी व्यक्ति का एक मुकद्दमा लड़ रहे थे। इसी बीच गांव में उनकी पत्नी बहुत बीमार हो गई। उनके पास खबर भिजवाई गई तो तुरन्त अपने गांव चल दिए। वह पत्नी की सेवा करने गांव पहुंचे ही थे कि उन्हीं दिनों उनके मुकद्दमे की तारीख पड़ गई। 

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एक तरफ उनकी पत्नी का खराब स्वास्थ्य था तो दूसरी ओर उनका मुकद्दमा। उन्हें असमंजस में पड़ा देख पत्नी ने कहा, ‘मेरी चिंता आप बिल्कुल न करें, आप मुकद्दमा लडऩे के लिए शहर जरूर चले जाएं। आपके वहां न रहने पर कहीं किसी बेकसूर को सजा न हो जाए।’

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वकील साहिब दुखी मन से शहर पहुंचे। कोर्ट में वह अपने मुवक्किल के पक्ष में जिरह करने खड़े हुए ही थे कि किसी ने उनको एक टैलीग्राम लाकर दिया। उन्होंने टैलीग्राम पढ़कर अपनी जेब में रख लिया और फिर अपनी बहस जारी रखी। अपने सबूतों के आधार पर उन्होंने अपने मुवक्किल को निर्दोष साबित कर दिया जोकि वह था भी। सभी लोग वकील साहिब को बधाई देने पहुंचे और उनसे पूछने लगे कि टैलीग्राम में क्या लिखा था?

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वकील साहिब ने जब टैलीग्राम सबको दिखाया तो लोग अवाक रह गए। उसमें उनकी पत्नी की मृत्यु का दुखद समाचार था। 

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लोगों ने कहा, ‘आप अपनी बीमार पत्नी को छोड़कर मुकद्दमा लडऩे कैसे आ गए?’ वकील साहब बोले, ‘आया तो उसी के आदेश से था क्योंकि वह जानती थी कि बेकसूर को बचाने का कर्तव्य सबसे बड़ा धर्म होता है।’ वह वकील साहिब और कोई नहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल थे जो अपनी इसी कर्तव्य परायणता के कारण लौहपुरुष कहलाए।

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