ईश्वर किसे देते हैं अनोखी शक्तियां, कब और कैसे लगता है इसका पता?

punjabkesari.in Monday, Jul 25, 2016 - 02:48 PM (IST)

किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था। तालाब के पास एक बगीचा था जिसमें अनेक प्रकार के पेड़-पौधे लगे थे। दूर-दूर से लोग वहां आते और बगीचे की तारीफ करते। गुलाब के पेड़ पर लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता कि हो सकता है कि एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे, पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वह स्वयं को काफी हीन महसूस करने लगा। उसके अंदर तरह-तरह के विचार आने लगे- ‘सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं, शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं, कहां ये खूबसूरत फूल और कहां मैं’, और ऐसे विचार सोच कर वह पत्ता काफी उदास रहने लगा। 
 
 
दिन यूं ही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़े जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया। बगीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे, देखते-देखते सभी फूल जमीन पर गिर कर निढाल हो गए, पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा।
 
 
पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंकों से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी। चींटी प्रयास करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु तय लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज दी, ‘‘घबराओ नहीं, आओ, मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं’’
 
 
और ऐसा कहते हुए उसने उसे अपने ऊपर बैठा लिया। आंधी रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुंच गया। चींटी किनारे पर पहुंच कर बहुत खुश हो गई और बोली, ‘‘आपने आज मेरी जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है, सचमुच आप महान हैं।’’
 
 
यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और बोला, ‘‘धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ, जिससे मैं आज तक अनजान था।’’
 
 
मित्रो, ईश्वर ने हम सभी को अनोखी शक्तियां दी हैं, कई बार हम खुद अपनी काबिलियत से अनजान होते हैं और समय आने पर हमें इसका पता चलता है, हमें इस बात को समझना चाहिए कि किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए अयोग्य होना नहीं है। 

 


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