चढ़ावे के फूलों से बनाई हवन सामग्री, रोजगार सृजन की संभावना

punjabkesari.in Thursday, Jul 02, 2020 - 09:03 PM (IST)

जयपुर, दो जुलाई (भाषा) शहर के कुमारप्पा राष्ट्रीय हाथ कागज संस्थान ने मंदिरों में इस्तेमाल लिए गए फूलों व नारियल से पूजा हवन सामग्री बनाई है। संस्थान के अधिकारियों का मानना है कि इस तरीके से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।

संस्थान के निदेशक बद्री लाल मीना ने बताया कि इस सामग्री का निर्माण धार्मिक स्थलों में चढ़ाये गए फूल और नारियल से किया गया है। इतना ही नहीं, इन फूलों से प्राकृतिक रंग को अलग कर इसका उपयोग गाय के गोबर और लुगदी से बनने वाले हाथ कागज के निर्माण में किया जा रहा है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राजस्थान ही नहीं समूचे भारत में हर क्षेत्र में ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां हर दिन बड़ी मात्रा में फूल व नारियल आदि चढ़ाए जाते हैं। इनका इस्तेमाल दुबारा हवन सामग्री में किया जा सकता है और स्थानीय स्तर पर रोजगार का एक नया जरिया मिल सकता है।’’
मीना ने कहा कि कि संस्थान द्वारा विकसित फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हुए हवन सामाग्री बनाने के लिए स्टार्ट-अप की शुरुआत की जा सकती है जिससे संकट के इस दौर में हजारों लोगो को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। संस्थान इस दिशा में प्रयास करेगा। साथ ही पुष्प व सुगंधी का उपयोग करते हुए अगरबत्ती के उत्पादन का प्रयास भी किया जायेगा और सफलता मिलने पर लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संस्थान इच्छुक संस्थान व व्यक्तियों को न केवल तकनीक बल्कि प्रशिक्षण भी देगा और उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 35 प्रतिशत सब्सिडी भी दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह स्थानीय स्तर पर कम निवेश में अच्छा व स्थायी रोजगार का अच्छा जरिया बन सकता है और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान किया जा सकता है।

यह तकनीक संस्थान के वैज्ञानिक मो. ईसा खान तथा डॉ.साक्षी ने बनाई है। खान ने पीटीआई भाषा को बताया कि बहुत कम निवेश से ही उत्पादन इकाई स्थापित कर हवन सामग्री बनाई जा सकती है। जैसे डेढ़ लाख रुपये के शुरुआती निवेश से उत्पादन शुरू किया जा सकता है और एक टन इस्तेमालशुदा फूलों से अन्य सामग्री मिलाने के बाद दो टन हवन सामग्री बनेगी।

उन्होंने कहा कि ''अनुपयोगी सामग्री'' या वेस्ट के उपयोग से हवन सामग्री बनाने की यह तकनीक सरल, सस्ती तथा पर्यावरण के अनुकूल है। हवन सामग्री के निर्माण में काम में ली जाने वाली सभी चीजें प्राकतिक, शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण है । हवन सामग्री में फूल और नारियल के अलावा नैवद्यम का भी इस्तेमाल किया गया है।

संस्थान ने हवन सामग्री की नमूना पैकिंग 250 और 500 ग्राम में तैयार की है। मीना के अनुसार इस हवन सामग्री की गुणवत्ता बाजार में बिक रही अन्य हवन सामग्रियों से ना केवल बेहतर है बल्कि इसकी कीमत भी उनके मुकाबले काफी कम है। प्रयोगशाला के परीक्षणों से भी यह सिद्ध हुआ कि संस्थान की शुभ हवन सामग्री की ग्रॉस कैलोरिक वैल्यू भी बाजार में उपलब्ध अन्य हवन सामग्रियों के मुकाबले अधिक है।

अधिकारियों के अनुसार रोजाना मंदिरों में चढाऐ जाने वाले फूल और नारियल कचरे में तब्दील होकर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। बारिश में यह कई तरह के कीड़े-मकोड़े के पनपने और बीमारियों का कारण बन जाते है। अगर इन्हें नदी और सरोवर में बहाया जाये तो यह पानी में ऑक्सीजन की कमी कर उसे प्रदूषित कर देते हैं। संस्थान के प्रयास से न सिर्फ इनका उचित निस्तारण हो रहा है बल्कि इनकी पवित्रता भी बरकरार रह पा रही है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News

Related News