भारत को उत्तर पश्चिम की ओर से घेरने के लिए चीन का पाकिस्तान में अपनी सेना लाने का प्रयास

punjabkesari.in Tuesday, May 31, 2022 - 12:52 PM (IST)

पाकिस्तान में अपनी सेना भेजने के नए-नए चीन तरीके ढूंढ़ने में जुटा है, लेकिन अभी तक उसे वहां एंट्री नहीं मिल पाई है, मगर चीन की तरफ से दबाव बहुत बढ़ गया है। दरअसल पाकिस्तान में चीन की कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें चीन की महत्वाकांक्षी बी. आर. आई. परियोजना के तहत काशगर से ग्वादर बंदरगाह तक की सड़क, ग्वादर बंदरगाह का निर्माण, बिजलीघर, ओवरब्रिज स्कूलों और कॉलेजों में कुछ चीनी अध्यापकों की नियुक्ति, खासकर कन्फ्यूशियस संस्थानों में चीनी अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाना शामिल है। इस संस्थान से चीन पाकिस्तानियों पर अपना मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहता है। दरअसल चीन अपनी विचारधारा दूसरे देशों पर थोपने के लिए कंफ्यूशियस संस्थानों का सहारा लेता है, साथ ही उनके जरिए उन देशों की जासूसी भी करवाता है।

हालांकि चीन का पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करने का दोहरा उद्देश्य है। पहला, वह अपने नागरिकों को पाकिस्तान में आतंकी हमलों से सुरक्षा देना चाहता है, लेकिन असल में चीन की मंशा पाकिस्तान से भारत को घेरने की है। उत्तर में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर भारत पर दबाव बना रखा है, लेकिन पश्चिमी छोर से भी पाकिस्तान के माध्यम से वह भारत परदबाव बनाना चाहता है। भारत के पूर्वी सीमांत देश म्यांमार पर भी चीन का परोक्ष कब्जा है। दक्षिण में चीन ने श्रीलंका और मालदीव्स से भारत को घेरने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका। हाल ही में कराची शहर में कन्फ्यूशियस संस्थान

के बाहर जब 3 चीनी नागरिकों की आत्मघाती बम धमाकों हत्या कर दी गई तो में चीन ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया और पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र पर अविश्वास जताते हुए पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन ने अपनी आऊट-पोस्ट बनाने की बात कही। चीन के अनुसार यह आऊट पोस्ट चीनी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए होगी। वह यहां प्रशासनिक भवन बनाएगा, साथ ही अपने हथियार, रसद, सैन्य वाहन रखेगा और वहां पर ढेर सारे चीनी सैनिकों के रहने की व्यवस्था होगी।

यहां पर एक चीनी कॉलोनी भी बनाई जाएगी, जहां चीनी सैनिकों, कामगारों, इंजीनियरों के साथ चीनी लोग भी रहेंगे, जो पाकिस्तान में काम कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा इस्तेमाल यह होगा कि पाकिस्तानमें पढ़ाने वाले चीनी प्राध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को चीनी सेना अपनी बख्तरबंद गाड़ियों में उनके गंतव्य स्थल पर ले जाएगी और वापस लाएगी तथा काम करने के दौरान उन्हें सुरक्षा देगी।

यह पूरी तरह से सैन्य बेस ही होता है, लेकिन इसे कम महत्व वाला आऊट-पोस्ट नाम दिया गया हैं, ताकि देसी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई हंगामा न खड़ा हो । हालांकि इस आऊट-पोस्टसे चीन भारत के अंदर जासूसी भी करवाएगा और मध्य एशिया, जिसमें ईरान, अफगानिस्तान, ईराक, सीरिया समेत कई देश शामिल हैं, में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश भी करेगा।

लेकिन अगर चीन की इस हरकत से पाकिस्तानियों में यह संदेश गया कि चीन उनके देश पर कब्जा करना चाहता है तो चीन का यह पैंतरा उसी पर उल्टा भी पड़ सकता है। उसकी आऊट-पोस्ट पर सीधे हमले भी शुरू हो सकते हैं और जो चीनी अपने काम पर सुरक्षा घेरे में जाएंगे उन पर भी घात लगाकर हमला किया जा सकता है। चीन पाकिस्तान में ठीक उसी तर्ज पर फंस सकता है जिस तर्ज पर अफगानिस्तान में रूस फंसा था।

आम पाकिस्तानी चीनियों पर हमला न भी करे, तब भी उन पर बलोच और टी.टी.पी. संगठन तो जरूर हमला करेंगे, क्योंकि वे पाकिस्तानी सैनिकों को भी नहीं छोड़ते, तो चीनियों के लिए तो विदेशी धरती पर अंजान लोगों का हमला और भी घातक होगा। ऐसे में चीन के लिए यह अभियान आर्थिक मोर्चे पर तो विफल रहने वाला है, साथ ही चीनी सेना को जो नुक्सान होगा वह अलग बात है। इससे चीन पर दुनिया के देशों का भरोसा भी खत्म होगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Recommended News