Interview 2: जल्दी- जल्दी नहीं बदलने चाहिए लीडर

Friday, Dec 21, 2018 - 11:55 AM (IST)

नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल और राजनीति में लंबे से जुड़े भाजपा के मंजिदर सिंह सिरसा ने नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी से खास बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को लेकर क्या कहेंगे? 
दिल्ली में 15 साल शीला सरकार रही, बहुत काम हुआ। लेकिन, जब से आप की सरकार बनी, एक भी काम नहीं हुआ। न तो कोई नया फ्लाईओवर बना और न ही नया अस्पताल। दिल्ली में बातों के अलावा आम आदमी पार्टी की सरकार ने कुछ नहीं किया। आप सरकार ने मेट्रो को 4 साल तक रोक कर रखा। जिसको कल मंजूरी दी गई, पहले मंजूरी मिल जाती तो आज लाखों लोगों को सुविधाएं मिल गई होतीं।

दिल्ली में आप सरकार पूरी तरह से नाकाम रही। सारा सिस्टम ध्वस्त हो गया। नौकरशाही से लेकर राशन की दुकान तक व्यवस्था बिगड़ गई। बिजली-पानी की दरें धीरे-धीरे करके बढ़ा दी गईं। चालबाजी से पूरा काम किया और दिल्लीवालों को चूना लगा दिया। कोई भी अच्छे काम नहीं किए। हां, आप के विधायकों के मकान अच्छे बन गए। वे महंगे कपड़े पहनने लगे और परिवार के साथ विदेशों की सैर करने लगे। यही बदलाव हुआ है।

राजनीति में पैसे का कितना महत्व है? 
पैसे का बहुत बड़ा महत्व है। बिना पैसे के कुछ नहीं हो सकता है। हम अगर आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं होंगे तो सियासत नहीं कर पाएंगे। वो जमाना अब बदल चुका है, जब कोई भी आदमी चुनाव लड़ लेता  था और जीत जाता था। सबसे पहले तो घर चलाने की चिंता होती है, ऐसे में वह बाहर के बारे में क्या सोचेगा। जो घर से मजबूत होगा, वही पूरी निष्ठा से काम कर सकेगा।

दिल्ली में भाजपा की हालत बहुत मजबूत नहीं दिखाई देती, क्या कहेंगे?
हम भाजपा-अकाली गठबंधन के विधायक हैं ना की भाजपा के। लेकिन, एक बात जरूर है कि भाजपा में जल्दी-जल्दी बदलाव होते हैं। जब तक जनता अपने लीडरशिप को समझ पाती है तब तक उसे बदल दिया जाता है। इससे लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं। मेरा अपना मानना है कि लीडरशिप को थोड़ा समय दिया जाना चाहिए।

उन्हें स्थापित होने में समय लगता है। दिल्ली में लोग कपड़े देर में बदलते हैं नेता जल्दी बदल जाते हैं। मैं खुद भी 2007 में जब निगम चुनाव लड़ा तो कोई नहीं जानता था, लेकिन धीरे-धीरे लोग जानने लगे। लीडरशिप को समय मिलने पर लोग जुड़ते हैं और विश्वास बढ़ता है।

तभी पार्टी की जमीन भी मजबूत होती है। लिहाजा, पार्टी को लीडर का चेहरा स्थापित करना चाहिए ना की जाति-विशेष को देखकर लीडर उतारना चाहिए। जातिवाद के नाम पर चले तो उतना फायदा नहीं होगा। 

कमेटी के कर्मचारियों को 3 महीने से वेतन नहीं दिया और कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में सराय बनाने की तैयारी चल रही है? 
बिल्कुल सही बात है, हमारे स्कूलों में शिक्षकों को 3 महीने से सैलरी नहीं दी जा सकी है। यह बड़ी समस्या है, इसको पटरी पर लाने के लिए जी-जान से कोशिश की जा रही है। जल्द ही समस्या का हल निकाल लिया जाएगा।

रही बात पाकिस्तान में सराय बनाने की, हमने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है और ना ही हम ऐसा कुछ करने जा रहे हैं। हमें पहले दिल्ली कमेटी, गुरुद्वारों और जुड़ी हुईं विभिन्न संस्थाओं को देखना है।

Chandan

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