2019 के सितम्बर-नवम्बर में बड़ी विमान दुर्घटना का अंदेशा!

Sunday, Jun 23, 2019 - 01:04 PM (IST)

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जालंधर (धवन):
वर्तमान में गोचर की दृष्टि से गुरु वक्री अवस्था में है। 5 नवम्बर तक वृश्चिक राशि में रहने के बाद गुरु की धनु राशि में वापसी होगी तथा 30 मार्च, 2020 तक गुरु धनु राशि में रहेंगे। धनु राशि में गुरु का शनि के साथ युति संबंध बनेगा। दिल्ली की ज्योतिषी आचार्य रेखा कल्पदेव के अनुसार 25 सितम्बर से 10 नवम्बर, 2019 के मध्य की अवधि में मंगल शनि को चतुर्थ दृष्टि से प्रभावित कर बड़ी वायु दुर्घटना की संभावना बना सकता है। 

उन्होंने कहा कि ये सभी धनु राशि में घटित हो रहा है अत: धनु राशि के राष्ट्रों को इस समय विशेष रूप से सावधान रहना होगा। इसके अलावा 8 फरवरी, 2020 से 30 मार्च, 2020 के मध्य के समय भी आतंकी घटनाएं देश में घटित हो सकती हैं। इसमें राहु, केतु, मंगल, शनि और गुरु सभी पीड़ित होने की वजह से आतंकी घटनाओं को जन्म देंगे इसलिए सतर्कता बनाए रखने में ही समझदारी है। 

उन्होंने कहा कि मंगल को ज्योतिष शास्त्र में दुर्घटनाओं का कारक माना जाता है। मंगल अग्रिकारक ग्रह भी है। मंगल ग्रह ही दुर्घटनाओं, चोट और गंभीर जलने जैसी घटनाओं को जन्म देता है। वाहन का कारक शुक्र है। शनि काल और अशुभ घटनाओं के लिए जाना जाता है। शनि-मंगल आमने-सामने हों तो षष्ठाष्टक योग निर्मित होने पर अशुभ घटनाएं होती हैं। ये घटनाएं अचानक होती हैं इसलिए इसमें अष्टम भाव तथा राहु की भूमिका अहम रहती है। 

27 मार्च, 1977 में स्पेन में विमान चालक सहित 583 लोगों की मौत विमान दुर्घटना में हुई थी। दुर्घटना वाले दिन चंद्रमा की राशि मिथुन थी। चंद्र कुंडली के अनुसार दूसरा घर शनि से पीड़ित था। पंचम भाव में राहु, नवम भाव में मंगल, दशम भाव में बुध, शुक्र और सूर्य थे। द्वादश भाव में गुरु मंगल का प्रभाव था। लग्रेश बुध नीच राशि में थे और द्वादेश शुक्र से अंशों में निकट था। अष्टम भाव को अष्टमेश की दृष्टि प्राप्त हो रही थी।

राहु शुक्र की तुला राशि में स्थित था। मंगल का मार्केश ग्रह को देखना, वह भी द्वादश भाव में बड़ी दुर्घटना का कारण बना। शनि की राशि में मंगल और शुक्र की राशि में गुरु का पीड़ित होना भी दुर्घटना का कारण बना। इसी तरह 9 नवम्बर, 2001 को 2 एयरप्लेन बोइंग 767-223 ई.आर. व बोइंग 767-222 हाईजैक हुए और इसमें सवार क्रमश: 700 व 1000 लोगों की मौत हो गई। अमरीकन फ्लाइट के केस के समय चंद्रमा कर्क राशि में गोचर में घूम रहा था। 

अष्टम भाव पर अष्टमेश शनि की दशम दृष्टि थी। अष्टमेश शनि वक्री था तथा वक्री ग्रह का अपने भाव को देखना अशुभ प्रभाव को बढ़ावा देता है। गुरु भी वक्री अवस्था में थे तथा गुरु षष्ठेश हैं और त्रिक भाव में थे। आकाश तत्व के कारक ग्रह गुरु हैं और गुरु का व्यय भाव में राहु, केतु अक्स में होना उन्हें पापग्रस्त भी कर रहा है। घटना का कारण दो मंद गति ग्रहों का त्रिकेश, वक्री होकर अपने भावों को देखना और लग्रेश चंद्र का मंगल दृष्टि से पीड़ित होना था। 

Jyoti

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