नाड़ जलाने पर पूरी पाबंदी संभव नहीं

Friday, Jul 28, 2017 - 01:52 AM (IST)

जालंधर(धवन): नाड़ जलाने पर पूरी पाबंदी संभव दिखाई नहीं दे रही है। यद्यपि पंजाब व हरियाणा सरकारों ने केंद्र से नाड़ जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की गुहार लगाई हुई है, परन्तु इसके बावजूद इस पर पूरी रोक लगती दिखाई नहीं दे रही। केंद्रीय वातावरण सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल कमेटी की बैठक गत सप्ताह हुई थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि फसलों के अवशेष को लाभदायक बनाने के लिए एक बाजार विकसित किया जाएगा ताकि किसान नाड़ को जलाने की बजाय इसे बेचकर मुनाफा कमा सकें। 

कमेटी का मानना था कि फसलों के अवशेषों को जलाने के मुद्दे को लेकर किसानों को गिरफ्तार तो नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह किसानों के रोजगार सृजन से जुड़ा मामला है। हमें इसके लिए एक ऐसा बाजार विकसित करना होगा जो इसकेे लिए लाभदायक हो सके। फसलों के अवशेषों में आर्थिक मूल्य पैदा करना होगा। बताया जाता है कि केंद्रीय वातावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक ऐसी रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिससे फसलों के अवशेषों के विकल्प तैयार किए जा सकें। इन अवशेषों का विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। इन अवशेषों का प्रयोग ऊर्जा संयंत्रों या औद्योगिक ऊर्जा के लिए भी हो सकता है। इससे बायो-सी.एन.जी. भी पैदा की जा सकती है।

दिल्ली को पिछले वर्ष वायु प्रदूषण के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। धान की फसल की कटाई के बाद इसकी नाड़ को जलाया जाता है। नाड़ जलाने पर रोक लगाने के लिए 5 राज्यों के अधिकारियों की कमेटी भी बनी हुई है। पंजाब तथा हरियाणा में धान की कटाई का कार्य सितम्बर अंत में शुरू हो जाता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने केंद्र सरकार से बैठकों के दौरान नाड़ को जलाने के मामलों को प्रमुखता से उठाया है तथा केंद्र से कहा है कि वह किसानों को बताए कि फसलों के अवशेषों को न जलाने के कितने लाभ हो सकते हैं। 

अमरेन्द्र सरकार चाहती है कि फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय इनका अन्य कामों में प्रयोग होना चाहिए ताकि वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। पंजाब सरकार इस संबंध में पहले ही कार्य योजना पेश कर चुकी है परन्तु पंजाब सरकार का मानना है कि नाड़ जलाने के मामले को लेकर किसानों को दंडित करना उचित नहीं है। केंद्र पंजाब व हरियाणा को नाड़ न जलाने की समस्या से निपटने के लिए पैसा भी देने के लिए तैयार है ताकि दोनों राज्य ऐसी मशीनें खरीद सकें जिनसे फसलों को उनके आधार से काटा जा सके।

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