दिल्ली के प्रदूषण में 40 फीसदी हुई पराली प्रदूषण की भागीदारी

Sunday, Nov 01, 2020 - 10:06 PM (IST)

चंडीगढ़, (अश्वनी): खेतों में जल रही पराली ने दिल्ली के प्रदूषण में इस बार नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। रविवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने से पैदा प्रदूषण की हिस्सेदारी 40 फीसदी रिकॉर्ड की गई। यह इस बार धान की कटाई के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है। भारत सरकार के सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फॉरकाङ्क्षस्टग एंड रिसर्च द्वारा रिकॉर्ड आंकड़ों मुताबिक आने वाले समय में स्थिति बदतर हो सकती है, क्योंकि पराली जलाने की घटनाओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। दिल्ली के आसपास क्षेत्रों सहित हरियाणा और पंजाब में लगातार पराली जलाने की घटनाओं में उछाल दर्ज किया जा रहा है। 

 


पंजाब में लगातार दूसरे दिन 3500 से ज्यादा जगह जली पराली
पंजाब में लगातार दूसरे दिन पराली जलाने के 3500 से ज्यादा मामले रिकॉर्ड किए गए। 31 अक्तूबर को जहां 3629 जगह पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं तो 1 नवम्बर को 3560 जगह पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए। यह आंकड़े इस बार धान की कटाई के बाद रिकॉर्ड मामलों में सबसे ज्यादा हैं। इसके साथ पराली जलाने की घटनाओं का कुल आंकड़ा 33,165 हो गया है, जो पिछले सालों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। खास बात यह है कि लगातार दूसरे दिन भी मालवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले रिकॉर्ड किए गए। संगरूर में सबसे ज्यादा 593 जगह पराली जलाई गई।
पंजाब की आबो-हवा दिल्ली से बेहतर होने का दावा
दिल्ली की बिगड़ती आबो-हवा के बीच पंजाब सरकार ने राज्य की आबो-हवा के बेहतर होने का दावा किया है। इससे पंजाब पर पूरा दोष मढऩे के दोषों का पर्दाफाश हुआ है, क्योंकि जमीनी हालात एक अलग ही कहानी बयान करते हैं। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हाल के दिनों में विशेष तौर पर अक्तूबर से दिसम्बर माह के दौरान दिल्ली में प्रदूषण के लिए उत्तर भारत के राज्यों, खासकर पंजाब में धान की पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसलिए यहां तथ्यों को समझने की जरूरत है। पंजाब में 6 कंटीन्यूस एंबईऐंट एयर क्वालिटी मॉनिटङ्क्षरग स्टेशंस (सी.ए.ए.क्यू.एम.एस.) स्थापित हैं, जिनमें अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, खन्ना, मंडी गोङ्क्षबदगढ़ और पटियाला में 1-1 स्टेशन स्थापित है। इन आंकड़ों (औसतन आधार पर) की तुलना में दिल्ली के नजदीक हरियाणा के गुरुग्राम, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, रोहतक में स्टेशन स्थापित हैं।

दिल्ली के स्टेशनों ने खुलासा किया है कि अगस्त और सितम्बर (2018-2020) माह में, पंजाब का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से 87 के बीच रहा। जबकि दिल्ली में, उस दौरान औसतन ए.क्यू.आई. 63 से 118 तक रहा। इसी समय दिल्ली (2019-2020) और फरीदाबाद के नजदीक हरियाणा के स्टेशनों में, औसतन ए.क्यू.आई. 67 से 115 तक रहा। इसलिए अक्तूबर में धान के कटाई के सीजन के शुरू होने से पहले दिल्ली और हरियाणा का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमवार 26-36 प्रतिशत और 32-34 प्रतिशत था, जो पंजाब की अपेक्षा ज्यादा था।

प्रवक्ता ने कहा कि अक्तूबर (2018-2020) माह में कटाई शुरू होने और पराली जलाने के समय दौरान शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 116 से 153 तक रहा। उसी समय, दिल्ली (2019-2020) और फरीदाबाद (2020) के नजदीक हरियाणा के स्थानों में औसतन ए.क्यू.आई. 203 से 245 तक रहा और इस दौरान दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 से 269 तक रहा। पंजाब के शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक में 76 प्रतिशत विस्तार जबकि हरियाणा के शहरों और दिल्ली स्टेशनों के वायु गुणवत्ता सूचकांक में क्रमवार 107 प्रतिशत और 134 प्रतिशत का विस्तार देखा गया। साथ ही इस दौरान हरियाणा का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 80-90 प्रतिशत रहा जो पंजाब से अधिक है जबकि दिल्ली का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 प्रतिशत से भी अधिक रहा।


प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा के शहरों और दिल्ली स्टेशनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक में वृद्धि की उच्च प्रतीशतता दर्शाती है कि हरियाणा और दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक स्थानीय कारणों के साथ-साथ एन.सी.आर. में पराली जलाने के कारण प्रभावित होता है।
 

Ajesh K Dharwal

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