प्रधानमंत्री किसान संगठनों के साथ करें सीधी बातचीत, ताकि समाधान निकाला जा सके : सुखबीर

punjabkesari.in Saturday, Oct 10, 2020 - 01:02 AM (IST)

चंडीगढ़, (अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर िसंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे किसान संगठनों के साथ-साथ अन्य के साथ सीधी बातचीत करके किसान समुदाय की शिकायतों का समाधान करें, ताकि एक समाधान निकाला जा सके जो सभी को स्वीकार्य हो। प्रधानमंत्री से किसानों के प्रति अपने कत्र्तव्य को निभाने का अनुरोध करते हुए बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री को 'जन की बात सुननी चाहिए।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि किसान संगठनों ने कृषि मंत्रालय द्वारा पेश सचिव स्तर की बातचीत को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि एक अफसरशाह कुछ भी नहीं कर सकता और किसानों के नेताओं को केवल केंद्र का दृष्टिकोण समझाने के लिए बुलाया था। प्रधानमंत्री को समझना चाहिए कि काफी गलत हो चुका है पंजाब और हरियाणा में अन्य स्थानों के अलावा किसानों ने महामारी के दौरान स्वयं के गंभीर जोखिम के बावजूद आंदोलन के रास्ते पर चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि हाल ही में बनाए गए तीन कृषि कानून उनकी भावी पीढिय़ों को खत्म कर देंगे। ऐसी स्थिति में किसी भी बिचौलिए को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए और सभी राजनीतिक दलों सहित किसानों के साथ-साथ अन्य हितधारकों से सीधी बातचीत करनी चाहिए। इस बातचीत का पालन तीन कृषि कानूनों को खत्म करके और किसानों के हितों की रक्षा करने वाले नया कानून बनाना चाहिए।

 


बादल ने कहा कि जहां तक शिरोमणि अकाली दल का सवाल है यह केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मल्य के अनुसार खाद्यान्न की खरीद जारी रखने के बारे लिखित आश्वासन का इंतजार कर रहा है तथा इसे वैधानिक कानून बनाया जाए। हम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खाद्यान्न के व्यापार पर प्रतिबंध लगानेे वाली संवैधानिक गारंटी पर भी डटकर खड़े हैं। बादल ने घोषणा की कि शिरोमणि अकाली दल इस मांग को ताॢकक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए अन्य समान क्षेत्रीय दलों के साथ समन्वय स्थापित करके राष्ट्रीय किसान समर्थक मोर्चे के गठन की शुरूआत करेगा। बादल ने कहा कि वे जल्द ही समान विचारधारा वाले क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर दिल्ली में किसानों के हितों के बारे व्यक्तिगत रूप से उठाएंगे।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा 'किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की आवश्यकता है। नए कृषि अधिनियम किसानों को कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि छोटी जमीन वाले किसान दूर नहीं लेकर जा सकते तथा इसे स्टोर नहीं करके रख सकते। ऐसी स्थिति में उनके पास निजी कंपनियों के साथ सौदेबाजी करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाएगा।


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Vikash thakur

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