कोरोना कर्फ्यू में भूख से बिलख रहे मजदूर, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

punjabkesari.in Thursday, Apr 23, 2020 - 12:55 PM (IST)

जीरकपुर(गुरप्रीत) : लॉकडाउन के कारण रोज कमाने-खाने वाले मजदूर वर्ग व झुग्गियों में रहने वाले लोगों को दैनिक दिनचर्या के उपयोग में आने वाली राशन सामग्री के लाले पड़ गए हैं। हालत यह हैं कि इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों, मजदूर वर्ग से लेकर निजी कंपनियों के कर्मियों के पास पैसा भी नहीं है। 

बलटाना पुलिस चौंकी के नजदीक झुग्गियों में रहने वाले पारस डाउन-टाउन की पिछली तरफ बनी झुग्गियों के लोगों समेत शहर के अन्य इलाके का मजदूर वर्ग दो वक्त का खाना बनाने की स्थिति में भी नहीं है। आज सनी एन्क्लेव के पास बनी झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने बताया कि उनके पास सरकारी सहायता नहीं पहुंच रही। उन्हें खाने के लिए लंगर व सामाजिक संस्थाओं की गाड़ियों का इंतजार करना पड़ता है। 

उन्हें कभी खाना मिल जाता है तो कभी भूखे पेट सोना पड़ता है। लोगों ने कहा कि अगर पंजाब सरकार उनके खाने-पीने की प्रबंध नहीं कर सकती है तो उन्हें उनके राज्य में जाने की अनुमति दें। भूख से बेहाल इन लोगों ने प्रशासन व सामाजिक संस्था से मदद की गुहार लगाई।  

प्रशासन दे ध्यान :
बलटाना निवासी नंबरदार जसवंत सिंह ने बताया कि बलटाना समेत आस-पास झुग्गियों में रहते व किराए पर रहने वाले मजदूरों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच रही। इन लोगों के सामने खाने की समस्या बनी हुई है। जिसकी तरफ प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। 

बलटाना में मजदूरों का काफी बुरा हाल है। एस.डी.एम. कुलदीप बाबा ने कहा कि 16,000 लोगों को भोजन कराया जा रहा है, जरूरतमंदों को राशन दिया जा रहा है। इसके अलावा कहीं भी मालूम चलता है वहां खाना पहुंचाया जाता है।  

मजदूरों से सौतेला व्यवहार :
लॉकडाउन पार्ट 2 का असर मध्यमवर्गीय परिवार पर पड़ रहा है जो अपने दयनीय स्थिति को चाह कर भी किसी के समक्ष बयां नहीं कर पा रहे। ब्लॉक स्तर में हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी दुकान का संचालन होता है। इसमें कपड़ा, करियाना, सैलून, गैरेज, हार्डवेयर, होटल, पलंबर समेत अन्य दुकान संस्थान शामिल हैं। 

इन दुकानों की संख्या के अनुमानित तीन गुना अधिक लोग मजदूर की तरह सप्ताहिक व मासिक वेतन में कार्य करते हैं। इन दुकानों का संचालन 22 मार्च से बंद है। इस वजह से इसमें कार्य करने वाले मजदूरों को मार्च माह में कार्य किए गए वेतन से इस कठिन परिस्थितियों में परेशान होना पड़ रहा है। 

जिसका खामियाजा उनके परिवार की बदहाल आर्थिक स्थिति है। लोगों का कहना है कि गांव में राशन वितरण करने पर राजनीति की जा रही है, सिर्फ पार्टी से संबंधित लोगों को राशन दिया जा रहा है। यही नहीं ऐसे लोग जिसको राशन की जरूरत नहीं है। उन्हें भी राशन दिया जाता है। इस संकट की घड़ी में जिला प्रशासन मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है।


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Priyanka rana

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