एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर देखकर प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी पंजाब के सरकारी स्कूलों में लेंगे दाखिला: शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस
punjabkesari.in Thursday, May 04, 2023 - 05:28 PM (IST)

जालंधर (रमनदीप सिंह सोढी): 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा जो प्रचार किया गया था उसमें दो मुद्दे सबसे ज्यादा विचारणीय थे। एक था हैल्थ और दूसरा था एजुकेशन। एजुकेशन के मुद्दे पर दिल्ली का हवाला दिया गया था कि दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में शिक्षा के क्षेत्र में विकास किया जाएगा। आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है। इस समय पंजाब सरकार और शिक्षा मंत्री अपने किए गए काम को कैसे देखते हैं और जालंधर लोकसभा उपचुनाव को लेकर इनका क्या कहना है इस संबंध में पंजाब केसरी द्वारा शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस के साथ विशेष बातचीत की गई।
बातचीत के दौरान मंंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव लाने का खाका तैयार किया हुआ है और पंजाब के सरकारी स्कूलों को एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर देखकर प्राइवेट स्कूलों को बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने आएंगे। हमारा प्रयास-सी.बी.एस.ई. हमें फॉलो करे हमारे अध्यापक और प्रिंसीपल विदेश भी जाकर आए हैं लेकिन क्या बात है कि हम आज तक अपना सिलेबस तैयार नहीं कर पाए? हम आज भी अंग्रेजों द्वारा तैयार किए सिलेबस और 33 प्रतिशत पर ही बैठे हैं। इस पर कैबिनेट मंत्री बैंस ने कहा कि इसका कारण यह है कि कभी किसी ने ध्यान ही नहीं दिया लेकिन हमने कहा कि इस परम्परा को बदला जाए क्योंकि यह जमाना आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस का है। हर मंगलवार को शिक्षा विभाग के अफसरों की मीटिंग लेते हैं। अफसर बताते हैं कि इससे पहले जितने भी मंत्री आए उनका दो बातों पर ही ध्यान होता था।
एक बदलियों की तरफ तथा दूसरा टैंडरों की तरप। उन्होंने कहा कि उनका ध्यान इन दो चीजों की तरफ नहीं है। कोई दावा नहीं कर सकता कि एक साल में सबकुछ बदल सकता है। बदलाव के लिए समय चाहिए। आज बोर्ड का महत्व बहुत बढ़ चुका है। बच्चों से पूछा जाता है कि आप कहां पढ़ते हैं और बोर्ड कौन-सा, तो सी.बी.एस.ई. को अच्छा कह दिया जाता है। आज हरेक बच्चा कनाडा, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जाकर पढऩा चाहता है। इसलिए हम सरकारी स्कूलों में स्कूली शिक्षा के ढांचे का पुनरुत्थान करने के लिए कनाडा, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया के साथ टाईअप कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव ला रहे हैं ताकि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की बात आए तो बच्चे गर्व महसूस करें।
मिशन-100 प्रतिशत: बेहतर रिजल्ट के लिए एक-एक बच्चे को किया जा रहा ट्रैक एक बात जो पंजाब सरकार ने कही है कि पंजाबी भाषा को तरजीह देनी हैं। यह अच्छी पहल है। आठ कक्षा में लगभग 863 बच्चे अकेले पंजाबी में फेल हो जाते हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि यह वर्ष पढ़ाई की दृष्टि से मुश्किल भरा था। कोविड के कारण एक वर्ष तो सभी बच्चों को पास कर दिया गया। दूसरे वर्ष पेपर ऑनलाइन हुए हैं। अध्यापक और बच्चों में दूरी बहुच बढ़ गई थी। हमने सत्ता में आने के बाद हमने बच्चों पर मेहनत बहुत ज्यादा की।
मिशन-100 प्रतिशत चलाया कि बच्चे अपनी क्षमता अनुसार बेहतर दें। एक-एक बच्चे तो हमने ट्रैक किया कि कोई बच्चा फेल न हो। हमने जब बच्चों को ट्रैक करना शुरू किया तो हमें लगता था कि बच्चे गणित, अंग्रेजी या साइंस में कमजोर होंगे, लेकिन ट्रैक के दौरान पाया गया कि बच्चे पंजाबी में भी कमजोर हैं। इसका एक कारण यह भी है कि बड़े स्तर पर बच्चे माईग्रेट भी आ गए हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि पूर्व में पंजाबी की तरफ तवज्जो नहीं दी गई कि पंजाबी चल ही जाएगी। हमने पंजाबी को प्रफुल्लित करने के लिए प्रयास शुरू किए।
‘आप’ सरकार की शिक्षा क्षेत्र में तीन बड़ी उपलब्धियां, सरकारी स्कूलों में बढ़े दाखिले
कहते हैं कि व्यक्ति को अपने कान कभी झूठ नहीं बोलते, आप अपनी एक साल की कारगुजारी को कैसे देखते हैं? इस पर कैबिनेट मंत्री बैंस ने कहा कि भले ही वह मंत्री मार्च महीने में ही बन गए थे लेकिन उन्हें शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी जुलाई महीने में मिली थी। शिक्षा विभाग में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है लेकिन तीन उपलब्धियां जो हमारी सरकार ने एक साल में हासिल की हैं उनके बारे में वह जरूर बताना चाहेंगे। पहली उपलब्धि: पंजाब में विद्यार्थियों को आज तक कभी भी समय पर किताबें उपलब्ध नहीं हुई थीं। पिछले साल मंत्री बनने के बाद उन्होंने स्कूलों में जाना शुरू किया तथा अब तक वह पंजाब के चार सौ स्कूलों में जा चुके हैं तथा स्कूलों में अध्यापकों और विद्यार्थियों को पेश आ रही समस्याओं को जाना।
इस दौरान जो सबसे बड़ी खामी नजर आई, वो थी कि विद्यार्थियों को समय पर किताबें ही नहीं मिल पाती थीं। इसके बाद एक-एक कर किताबें आ रही हैं और अध्यापकों की ड्यूटी लगती थी कि वे जाकर किताबें लेकर स्कूल आते थे। उसके बाद हमने तत्काल फैसला कर लिया था और 31 मार्च से पहले 99 प्रतिशत तक किताबें विद्यार्थियों को बांटी जा चुकी हैं। 1 प्रतिशत का कारण कहीं किसी स्कूल में दो-चार बच्चे बढ़ गए या कम हो गए शेष हैं। इस सम्बंध में पंजाब में कहीं भी वैरीफाई किया जा सकता है। दूसरी उपलब्धि: विद्यार्थियों को दी जाने वाली वर्दियों के पैसे कभी भी सितम्बर महीने से पहले रिलीज नहीं होते थे। आज 15 अप्रैल से पहले हम सभी स्कूलों में वर्दियों के पैसे भेज चुके हैं। वहीं 2017 में स्कूलों में बच्चों की प्री-प्राइमरी क्लासें शुरू हो गई थीं लेकिन आज तक बच्चों को वर्दी नहीं दी गई थी। हमारी सरकार ने पिछले साल से ही प्री-प्राइमरी के बच्चों को वर्दियां देनी शुरू कर दी थीं।
इससे पहले पहली से 8वीं कक्षा तक के हरेक वर्ग के बच्चों को वर्दियां दी जाती थीं लेकिन जनरल वर्ग के बच्चे छूट जाते थे। इस बार हम जनरल वर्ग के बच्चों को भी वर्दियां देने जा रहे हैं। यह हमारी सरकार की नई उपलब्धि है। तीसरी उपलब्धि: पिछले साल पूर्व शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने सितम्बर महीने में एक ट्वीट कर कहा कि सरकारी स्कूलों में 7 प्रतिशत दाखिले कम हो गए हैं। इसके बाद हरसिमरत कौर बादल और सुखबीर बादल तथा राजा वडि़ंग भी शिक्षा पर ट्वीट करते हैं। 2022 से पहले देख लें कभी किसी ने ट्वीट नहीं किया। वह इन ट्वीट को सैलीब्रेट करते हैं कि चलें शिक्षा पर बात तो हो रही है। उन्हें इस बात की ज्यादा खुशी होती है कि चलो बड़े-बड़े नेताओं का ध्यान तो सरकारी स्कूलों की तरफ जाने लगा है लेकिन इन नेताओं का जब ये सत्ता में थे कभी ध्यान इस तरफ नहीं गया। मौजूदा शिक्षा सत्र की बात करें तो अकेली प्राइमरी क्लास में 80 हजार बच्चों का दाखिला बढ़ा है तथा पहली कक्षा में 25 हजार बच्चे बढ़े हैं। प्राइमरी में 6 प्रतिशत और पहली कक्षा के दाखिले में 13 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है।