अरुणा चौधरी ने की पंचायतों को पराली जलाने के खिलाफ मुहिम तेज करने की अपील
Saturday, Oct 10, 2020 - 12:48 AM (IST)
चंडीगढ़, (रमनजीत): पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री अरुणा चौधरी ने पंचायतों से अपील की है कि वह पराली जलाने के बुरे प्रभावों से अवगत करवाने के लिए अभियान को और तेज करें। चौधरी ने कहा कि पंचायतें इसके खतरे से लोगों का बचाव करने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाएं, क्योंकि यह रुझान कोविड-19 के कारण पैदा हुई स्थिति को और बिगाड़ेगा।
चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह की राज्य को पराली जलाने के रुझान से बिल्कुल मुक्त करने की अपील पर कई पंचायतें अथक मेहनत कर रही हैं और उन्होंने पराली जलाने के खतरे के खिलाफ प्रस्ताव पास किए हैं परंतु अगर हमें इस खतरे को जड़ से खत्म करना है तो सभी पंचायतों को प्रण लेते हुए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करना पड़ेगा। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवॢसटी लुधियाना के माहिरों से यह प्रामाणिक तथ्य हैं कि फसलों के अवशेष और पराली को जमीन में बिखेरने से धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। उन्होंने कहा कि इससे प्रति एकड़ झाड़ 9 प्रतिशत बढ़ता है, जो करीब दो ङ्क्षक्वटल बनता है।
उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष को जमीन में मिलाने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 1400 से 1700 रुपए में मशीनरी किराए पर मिलती है। किसानों को बड़े सार्वजनिक हित के लिए इसका लाभ उठाना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि इस खतरे को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों की यथावत पालना करते हुए पंजाब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पराली के स्टोरेज के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। इसके अलावा गांव स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं, जो इस रुझान के मुकम्मल खात्मे के लिए प्रभावशाली तरीके से काम कर रहे हैं और पराली जलाने की घटनाओं संबंधी भी तुरंत रिपोर्ट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा खरीद सीजन के दौरान गांवों में शामलात, गौशालाएं और अन्य उचित स्थानों पर बासमती की पराली रखने के लिए प्रबंध किए गए हैं। पराली का प्रयोग कोई भी पशुओं के चारे के लिए कर सकता है। इसके अलावा यह नोडल अधिकारी अपने संबंधित जिलों में किसानों को जानकारी देने, शिक्षित करने के साथ-साथ उनके साथ तालमेल रख रहे हैं जिससे इस जागरूकता प्रोग्राम से कोई भी किसान वंचित न रहें।
मंत्री ने कहा कि पंचायतें यह बात भी यकीनी बनाएं कि सिर्फ एस.एम.एस. लगी कंबाइनों के साथ ही धान की कटाई हो और अगर इसका उल्लंघन होता है तो तुरंत पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी दी जाए।