हर मुद्दे पर बोले कैप्टन, तीखे सवालों के सीधे जवाब

punjabkesari.in Saturday, Jul 04, 2015 - 11:37 AM (IST)

जालंधर: पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से जालंधर आगमन के समय पंजाब केसरी टीम द्वारा लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश निम्नलिखित हैं:
 
प्रश्न: अमृतसर के लोगों ने आपको भारी बहुमत से चुना है, लिहाजा अमृतसर के लोग उम्मीद कर रहे थे कि जनसंपर्क  यात्रा का आगाज अमृतसर से होना चाहिए था। आपका इस बारे में क्या कहना है?
उत्तर: अमृतसर से शुरूआत करता तो फिर कहना था पटियाला से कर लेते। जालंधर मीडिया का गढ़ है, हम हर जगह जाएंगे। 
 
प्रश्न:  राजिन्द्र कौर भट्ठल, लाल सिंह सहित कई नेता यात्रा की शुरूआत दौरान गैर-हाजिर क्यों रहे हैं?
उत्तर: हमें यह समझना पड़ेगा, हम बच्चे नहीं हैं। यह हमारा काम नहीं है कि हम अकेले-अकेले को उंगली पकड़ कर चलाएं। राजिन्द्र कौर भट्ठल पंजाब के किसी हिस्से में जाएं, सुनील जाखड़ कोई और हिस्सा कवर करें तथा अन्य नेता कोई और हिस्से में जाएं, इस तरीके से ही पूरा पंजाब कवर किया जा सकता है।
 
प्रश्न:  क्या राज्य प्रधान प्रताप सिंह बाजवा की यात्रा से अलग आपकी यह यात्रा आपको अनुशासनहीनता नहीं लग रही?
उत्तर:  क्या अनुशासनहीनता है, कांग्रेस की लीडरशिप समर्थन कर रही है। शकील अहमद का बयान भी आया है। पंजाब में 12,700 गांव हैं जिन्हें कोई अकेला इंसान कवर नहीं कर सकता। 
 
प्रश्न:  आपकी रैली को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। क्या आप यह सब बाजवा को राजनीतिक तौर पर चुनौती देने के लिए कर रहे हैं?
उत्तरबाजवा को चुनौती की जरूरत नहीं है। कांग्रेस हाईकमान ने खुद ही अंदाजा लगा लिया है। मैं बाजवा के घर जा रहा हूं। मेरी बाजवा को कोई राजनीतिक चुनौती नहीं है। कांग्रेस राजनीतिक पार्टी है। कांग्रेस के नेताओं को पता है कि पंजाब के लोग क्या चाहते हैं, उनकी जो सोच है, हमारी ड्यूटी बनती है कि उसे सैंट्रल लीडरशिप को बताएं और वे सभी उसे बता रहे हैं। फैसला हाईकमान कर लेगा। हम तो इकट्ठे हैं। हम एकजुट होकर अकाली-भाजपा के साथ लड़ेंगे।
 
प्रश्न:  अकाली दल आपके शारीरिक सामथ्र्य पर सवाल उठाता है। आपका क्या कहना है?
उत्तर: हमने अकालियों को पहले भी पीटा था इसलिए वे मेरी ङ्क्षचता न करें। पहले भी हम गांव-गांव गए थे। मेरे शरीर में ताकत थी तो ही गांव-गांव पहुंचे थे और अब भी जाएंगे। मेरे शरीर में बहुत जान है और अब भी अकालियों को पीट कर छोड़ेंगे। 
 
प्रश्न:  अकाली दल की वाल्मीकि भाईचारे के साथ नजदीकी बढ़ रही है। क्या इसको बसपा के साथ गठबंधन होने के संकेत के तौर पर देखा जाए?
उत्तर: अकाली दल जो मर्जी करे, यह उसका अंदरूनी फैसला है, बसपा भी एक राजनीतिक पार्टी है और सबकी अपनी-अपनी सोच है। जहां तक पंजाब की बात है पंजाब सभी का है। इसमें मजहबी सिख भी हैं, सैनी, जाट, कम्बोज, रामदासिया और अन्य कई वर्गों के लोग हैं। हमें सबकी बात करनी है। हमारी ड्यूटी है कि हम सबको उनका बनता राजनीतिक प्रतिनिधित्व दें। मैं मानता हूं कि हम अतीत में वाल्मीकि भाईचारे को बनती जगह नहीं दे सके परंतु अब सत्ता में आने पर हम इस भाईचारे का पूरा ख्याल रखेंगे।
 
प्रश्न:  बतौर लोकसभा मैंबर अमृतसर हलके के लिए आप कौन-सा प्रोजैक्ट लेकर आए हैं?
उत्तर: विरोधी पक्ष का सांसद प्रोजैक्ट नहीं ला सकता। मैं लोकसभा मैंबर को मिलने वाला फंड 9 हलकों में बराबर बांट रहा हूं। अगर मैं कोई प्रोजैक्ट लेकर आऊंगा तो अकाली दल उसमें अड़चनें पैदा करेगा। मैं कुछ नहीं कर सकता पर जब हम सरकार में होंगे तो अमृतसर की गंदगी की समस्या को सबसे पहले दूर किया जाएगा। इस कारण शहर में पीलिया और टायफाइड जैसी बीमारियां फैल रही हैं। फिलहाल हम आवाज उठा सकते हैं और यह हम उठाते रहेंगे।
 
प्रश्न:  विरोधी पक्ष का आरोप है कि आप न संसद में नजर आते हैं, न ही अमृतसर हलके में। आपका क्या कहना है?
उत्तर: मेरा काम रैगुलर है। मेरा दफ्तर अमृतसर में चल रहा है। यदि कोई समस्या आती है तो हम उसका हल करते हैं। 4 या 5 जुलाई को मैं अमृतसर जा रहा हूं। लोगों के काम के लिए मैं पाॢलयामैंट में जाऊं यां मैं अमृतसर में बैठूं, हमें कुछ न कुछ तो एडजस्टमैंट करनी ही पड़ेगी। जहां तक संसद की बात है, अमृतसर से मेरे चुनाव लडऩे का फैसला सोनिया गांधी जी का था। 
 
वह चाहती थीं कि मैं अमृतसर जाकर अरुण जेतली का मुकाबला करूं और मैंने यह किया लेकिन 1984 के बाद मेरा मन हर समय पंजाब में ही रहा है। मैं 5 बार पंजाब से चुना गया हूं। अब भी मैं राज्य में रहना चाहता था। मैं तो अमृतसर से लडऩा ही नहीं चाहता था परंतु मेरे पार्टी प्रधान ने इच्छा जाहिर की तो मैंने उनके आदेशों का पालन किया, पर मेरी सोच पंजाब है। 
 
प्रश्न:  क्या आपको नहीं लगता कि आप संसद में रह कर भी पंजाब के मुद्दे उठा सकते हैं परंतु आप संसद में उपस्थित ही नहीं होते?
उत्तर: कौन से मुद्दे। पंजाब में उद्योग आएं तो उसकी नीति पंजाब विधानसभा में बनेगी। कानून पंजाब में बनाए जाएंगे। संसद में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे उठाए जा सकते हैं। आप नागालैंड, केरल, छत्तीसगढ़, गुजरात की बात कर सकते हैं परंतु पंजाब के मुख्य मुद्दे सिर्फ  हमारी विधानसभा करती है और हम पंजाब की बेहतरी के लिए पंजाब का प्लेटफार्म इस्तेमाल कर सकते हैं।

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