पैदा होते ही नन्ही परी के सिर से उठा मां का साया

Saturday, May 16, 2015 - 02:01 AM (IST)

होशियारपुर(जैन): गत 8 मार्च को शहर के एक निजी अस्पताल में जन्म लेने वाली नन्ही परी को तब तनिक भी आभास नहीं था कि जिस मां की कोख से उसने जन्म लिया है, कुछ घंटे बाद ही इस मां का साया उसके सिर से उठ जाएगा। आज यहां प्रैस क्लब में उस समय दृश्य बेहद मार्मिक हो गया जब करीब 2 माह की मासूम परी को अपनी गोद में लिए उसकी दादी सुनीता, बदनसीब पिता हनी गुप्ता व दादा सुशील गुप्ता निवासी नई आबादी ने अपना घर उजडऩे की दर्द भरी गाथा बयान की। 

हनी ने बताया कि घटना से मात्र 10 माह पहले ही उसकी शादी हुई थी। उसकी पत्नी शिफाली को परिवार द्वारा डिलीवरी के लिए गवर्नमैंट कालेज रोड स्थित गुरचरनकंवल अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। अस्पताल की संचालिका डा. कंवलजीत कौर ने हमें कहा कि बच्चे ने मां के पेट में शौच कर दी है, इसलिए फौरी तौर पर बड़े आप्रेशन से डिलीवरी करनी पड़ेगी। कुछ घंटे बाद जब डिलीवरी हुई तो उन्हें कुछ नहीं बताया गया बल्कि नवजात बच्ची को डी.सी. रोड पर डा. तारू कपूर के अस्पताल में उन्हें बिना बताए दाखिल करवा दिया गया। शायद यह भी पैसे ऐंठने की ही साजिश थी।

 

इसी बीच शिफाली की हालत बेहद बिगडऩे लगी। जब उसे आप्रेशन थिएटर से बाहर लाया गया तो वह बेहोशी की हालत में पड़ी थी। अगले दिन शिफाली का पेट फूलने लगा। देखते ही देखते उसकी हालत और भी ज्यादा नाजुक होने लगी। इसके विपरीत इस अस्पताल के डाक्टर उन्हें झूठे दिलासे देते रहे। स्थिति बिगड़ते देख शिफाली को सी.एम.सी. लुधियाना रैफर कर दिया गया। 

हनी के अनुसार सी.एम.सी. के डाक्टरों ने उन्हें स्पष्ट किया कि होशियारपुर में शिफाली के आप्रेशन के दौरान जो लापरवाही हुई उसके चलते इसका खून भारी मात्रा में पेट में जमा हो गया है जिसके लिए सी.एम.सी. में शिफाली का आप्रेशन किया गया। इसके बाद उसकी तबीयत और भी ज्यादा खराब हो गई तथा शिफाली को वैंटीलेटर पर डाल दिया गया। 

20 मार्च को डाक्टरों ने जवाब दे दिया तथा कहा कि इसका बचना मुश्किल है, अत: वे उसे घर ले आए तथा शिफाली की मौत हो गई। हनी ने बिलखते हुए कहा कि वह प्राइवेट दुकान पर मामूली 8,000 रुपए की नौकरी करता है। शिफाली के इलाज पर गुरचरनकंवल अस्पताल में उसने करीब 20 हजार रुपए अदा किए, डा. तारू कपूर के अस्पताल में 73 हजार रुपए की अदायगी की गई तथा करीब 3 लाख रुपए सी.एम.सी. में इलाज के लिए खर्च किए। खर्च के बावजूद शिफाली की मौत हो गई। 

उसने इस घटनाक्रम के लिए गुरचरनकंवल अस्पताल को ही दोषी ठहराया। उसने आरोप लगाया कि पिछले करीब 2 माह से वे इंसाफ के लिए धक्के खा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

 
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