एक ऐसा बाजार जिसमें खुलते हैं ‘23 रास्ते’

Sunday, Apr 19, 2015 - 01:47 AM (IST)

अमृतसर: पुराने बाजार देखने हैं तो अमृतसर आएं, जहां न तो बाजार खत्म होने का नाम लेते हैं और न ही उनके रास्ते। पुरानी नक्काशी के बेमिसाल नमूनों के शहर अमृतसर में एक ऐसा ही बाजार है जिसमें 23 रास्ते आकर खुलते हैं, उसका नाम है नवांकोट बाजार जो प्राचीन ही नहीं ऐतिहासिक भी है। 

अंग्रेजों के नहीं, मुगलों के काल का बसा यह बाजार उस समय के आधुनिक बाजारों में से एक था और सुविधाओं से भरपूर था और आज भी इस बाजार की चकाचौंध में किसी प्रकार की कमी नहीं है लेकिन विकास के नाम पर इस बाजार को ग्रहण लगा हुआ है। पिछले 2 महीनों में इस बाजार की हालत इतनी खस्ता कर दी गई है कि अब जहां से गुजरना तक मुश्किल है। करोड़ों के कारोबार करने वाले इस बाजार में अब कौडिय़ों का कारोबार रह गया है।

नशा विरोधी संगठन के संरक्षक धर्मपाल प्रभाकर व उनके साथियों ने नवांकोट बाजार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस बाजार को इस प्रकार से बसाया गया था कि चाहे जितनी भी बारिश हो जाए, इस इलाके में एक बूंद पानी नहीं ठहरता था। बाजार की तरफ अलग-अलग 23 रास्ते खुलते हैं, जो कि अपने आप में एक नायाब नमूना है। सुबह से लेकर देर रात तक बाजार की रौनक कायम रहती है। चाहे वह मुगलों का समय था या फिर अंग्रेजों का, इस बाजार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। समय के साथ-साथ इस बाजार में भी बदलाव देखने को मिले। उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीनों से बाजार का बुरा हाल है। विकास के नाम पर गलियों को उखाड़ फैंका गया है, न तो काम किया जा रहा है और न ही इसमें सुधार। यहां से गुजरने वाले लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
 
बाजारों की रौनक गुम-सी हो गई है। बाजार वालों द्वारा नगर निगम के बाजार को जल्द से जल्द ठीक करवाने की अपील की जाती रही लेकिन इसका असर नहीं हो रहा। निगम के काम न करने का खमियाजा बाजारों वालों को ही नहीं इससे जुड़े हरेक व्यक्ति को भरना पड़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि बाजार का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि इस बाजार की महत्ता बरकरार रहे। इस अवसर पर डा. रमेश लखनपाल, आशु लखनपाल, डा. राजेश लखनपाल, बावा आदि उपस्थित थे। इस बाबत नगर निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल से उनके मोबाइल पर संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।

 

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