...तो ये हाल है सरकारी अस्पताल के डाक्टर का

Monday, Mar 16, 2015 - 11:17 AM (IST)

जालंधर (शौरी): एक तरफ तो स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत ज्याणी दावा करते नहीं थकते कि प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में सरकारी अस्पतालों में उपचार बढिय़ा हो रहा है लेकिन उनकी कथनी और हकीकत में बहुत अंतर है। 
 
उक्त बात करतारपुर के सरकारी अस्पताल में तैनात डाक्टर ने सिद्ध करते हुए घायल का सही तरीके से उपचार तो दूर, उसके घाव पर टांके लगाने का कष्ट तक नहीं किया। ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने घायल की एम.एल.आर. व मामूली उपचार करने के बाद उसे जालंधर के सिविल अस्पताल में रैफर कर दिया।

जानकारी के मुताबिक नवनीश शर्मा पुत्र कमल किशोर निवासी करतारपुर का पैसों के लेन-देन को लेकर कुछ युवकों के साथ विवाद हो गया। उक्त युवकों ने मिलकर शर्मा के सिर व टांगों पर तेजधार हथियारों से हमला कर उसे बुरी तरह से लहूलुहान कर दिया। लोगों को जमा होते देख हमलावर मौके से फरार हो गए और घायल शर्मा को उपचार के लिए करतारपुर के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया गया लेकिन वहां घायल शर्मा के शरीर पर टांके लगाने की बजाय ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने उसे जालंधर के सिविल अस्पताल में रैफर कर दिया।

जैसे ही सिविल अस्पताल जालंधर में हड्डियों के माहिर डा. हरदेव सिंह घायल का उपचार करने लगे तो वह भी यह देखकर हैरान हो गए कि उसे रैफर करने वाले डाक्टर ने टांके क्यों नहीं लगाए। इस बाबत डा. हरदेव सिंह ने मामला मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. संजीव बबूटा के नोटिस में पहुंचाया और साथ ही मरीज की फाइल पर भी इस बाबत नोट्स डाले।

बातचीत के दौरान डा. हरदेव सिंह ने बताया कि नियम के मुताबिक घायल को रैफर करने से पहले उसका उपचार करने वाले डाक्टर ने ही उसे टांके लगाने थे। मरीज जब उनके पास पहुंचा तो उसके घावों पर टांके नहीं लगे हुए थे। इस हालत में मरीज को इंफैक्शन का डर भी रहता है और साथ खून का बहाव अधिक होने के कारण मरीज की जान को भी खतरा पैदा हो सकता है।

मामले की जांच करेंगे, डायरैक्टर हैल्थ
वहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के डायरैक्टर डा. करणजीत सिंह से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था वह मामले की जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर डाक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी करेंगे।
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