मशहूर ''पंजाबी खाने'' जिनको खाकर पेट भर जाए, पर नीयत न भरे

Sunday, Mar 15, 2015 - 05:29 PM (IST)

जालंधर: जहां खाने की बात आती है, वहां सभी की जीभ में से पानी आने लग पड़ता है। फिर यदि बात पंजाबी खाने की जाए तो हर शख्स उसे देख खाने के लिए बेताब हो जाता है कि कब यह खाना उसके पेट में जाएगा। आज हम बात करेंगे, उन पंजाबी खानों की, जिनका नाम सुनते ही हर कोई कह दे कि यार, जल्दी-जल्दी ले आ तू बस।
 
सरसों का साग, मक्के की रोटी
सरसों का साग और मक्के की रोटी तो पंजाबियों का पसंदीदा खाना है। इसको बनाने में चाहे समय लगता है पर सभी जब देसी घी पड़ा साग, दही और मक्के की रोटी थाली में पड़ी देखते हैं तो एकदम इस पर टूट पड़ते हैं। इस थाली के साथ जब लस्सी का गिलास मिल जाए तो क्या बात है। 

राजमा चावल
अकसर जब घर में राजमा बनाए जाते हैं तो सबकी डिमांड होती है कि आज घर में चावल ही बनें। राजमा के साथ चावल खाने का मजा ही कुछ अलग है। इनको बनाने में ज्यादा समय भी नहीं लगता। जब राजमा चावल की प्लेट सामने आती है बड़े स्वाद से पंजाबी इसको खाते हैं और कहते नजर आते हैं कि बई, आज तां रोटी खान दा मजा ही आ गया।
 
आलू का परांठा
रविवार को छुट्टी होने के कारण हर कोई चाहता है कि आज कुछ स्पैशल खाया जाए। इसलिए इसदिन तकरीबन हर घर में सुबह के नाश्ते में अलग-अलग तरह के परांठे बनते है। आलू के परांठे की बात ही कुछ अलग है। आलू के परांठे पर जब मक्खन रख कर दही के साथ खाया जाए तो बड़ा स्वाद आता है। 

दाल मक्खनी
दाल मक्खनी भी पंजाबी बहुत पसंद करते हैं। अक्सर जब घर भी ग्रहणियां बाहर से खाना मंगवाती हैं तो दाल मक्खनी लाने के लिए जरूर कहतीं हैं। पंजाबी विवाहों या पार्टियों में भी दाल मक्खनी बनाई जाती है। लोग बड़े स्वाद से इसको खाते हैं और कहते हैं, बड़ी स्वाद आ यार।

दही रायता
पंजाबियों के हर खाने के साथ दही का होना स्वाभाविक बात है। पंजाबियों के विवाहों में भी लोग विशेषकर महिलाएं दही के गिलास भर-भर कर पीतीं हैं। इससे पता चलता है कि पंजाबी लोग दही को कितना पसंद करते हैं। पंजाबी दही में शक्कर डाल कर भी खा लेते हैं और पकौड़ियां डाल कर भी।

पकौड़ों वाली कड़ी
पंजाबी खाने में कड़ी की बात की जाए तो सहज-स्वभाव ही मुंह में से पानी आ जाता है। यहां तक कि पंजाब के कई धार्मिक समारोह दौरान कड़ी-चावल का लंगर भी लगाया जाता है। पकौड़ों वाली कड़ी को खाकर हर किसी का मन खुश हो जाता है और दिल करता है कि खाए जाओ फिर चाहे पेट ही क्यों न भर जाए। 
 
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