स्वच्छता अभियान के अनजान सिपाही

Thursday, Mar 05, 2015 - 12:10 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): नगरपालिका में पक्के सफाई कर्मचारियों की कमी के कारण ऐतिहासिक शहर श्री मुक्तसर साहिब में सफाई व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है, जिसकी गवाही नगर में स्थान-स्थान पर लगे कूड़े के ढेर भरते हैं। वर्तमान में नगर कौंसिल के पास भले ही कागजों में तो स्थायी सफाई सेवकों की संख्या 98 हैं परन्तु वास्तव में 60-65 सफाई सेवक ही कार्य करते हैं जबकि इसके अतिरिक्त शहर के कई भागों में एक निजी कंपनी के सफाई सेवक ठेकेदारी सिस्टम के अधीन शहर की सफाई व्यवस्था को सुचारू बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं। इसके बावजूद  शहर की सफाई व्यवस्था की हालत खराब है।

ऐसे में झुग्गी-झोंपडिय़ों में रहने वाले निर्धन लोग व स्कूल जाने की आयु में कचरा स्थलों से गत्ता, प्लास्टिक व कागज बीनकर शहर के प्रत्येक गली व मोहल्ले को कचरा मुक्त करने में लगे बेरोजगार युवक, युवतियां व बच्चे न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर कार्य कर रहे हैं, बल्कि नगरपालिका के रुके हुए या यूं कहे कि निष्क्रय सफाई कार्यों को अभियान के रूप में सार्थक गति दिए हुए हंै।
 
अप्रत्यक्ष रूप से बचा रहे गौवंश की जान : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के तहत जो काम सरकार से वेतन पाने वाले नगरपालिका के सफाई कर्मचारी नहीं कर पा रहे हैं, उसे ये लोग बेहतर ढंग से मुफ्त में ही अंजाम दे रहे हैं, भले ही पेट की आग को शांत करने के लिए सही।
 
कचरा स्थलों से कागज, प्लास्टिक, गत्ता व कचरा वगैरह बीनने वाले इन लोगों को सुबह 4 बजे से देर रात्रि तक काम करते हुए देखा जा सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से ये एक बड़े अभियान का हिस्सा बने हुए हैं। वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वे उन लोगों से कहीं अधिक सार्थक काम कर रहे हैं जो लाखों रुपए का मेहनताना लेने के बाद भी काम नहीं करते। शहर में कचरा डम्प के अलावा खुले में घूमता बेसहारा गौवंश कचरे के ढेर में पड़ी प्लास्टिक थैलियां खा जाता है जोकि कभी-कभी उनके लिए जानलेवा भी साबित होती हैं। कचरा बीनने वाले ये लोग अपने सामने आने वाली प्लास्टिक थैलियां बीन लेते हैं जोकि अप्रत्यक्ष रूप से गौवंश की जान बचाने में सहायक सिद्ध होती हैं।

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