एक-दो से कुछ नहीं आता बाबू जी, 10 रुपए तो दे दो

Tuesday, Mar 03, 2015 - 01:53 AM (IST)

अमृतसर(कक्कड़): बढ़ती महंगाई ने भीख मांगने वालों की भीख राशि मांग को पहले से लगभग 2-3 गुना बढ़ा दिया है और भीख देने वाले वर्ग को भी इस बाबत अपने बजट या भीख देने की राशि संबंधी समझौता करना पड़ रहा है। 

जानकारी के अनुसार लगभग 10 वर्ष पूर्व नगर में भीख मांगने वालों को यदि कोई 50 पैसे, एक रुपया या 2 रुपए दे देता था, तो भीख प्राप्त करने वाले भिखारी वर्ग के लोग इस दानी के लिए भगवान से बार-बार प्रार्थना करते थे, लेकिन बीते समय के साथ तथा महंगाई के चलते आज उक्त भिखारी वर्ग के लिए 1-2 रुपए कुछ मायने नहीं रखते। उक्त वर्ग एक-दो रुपए लेने से इंकार कर देता है और मांग करता है कि बाबू जी एक-दो रुपए का अब कुछ नहीं आता, 10 रुपए तो दे दो और जो व्यक्ति इनको एक-दो रुपए देता है, वह न तो अपने 1-2 रुपए बचा पाता है, उलटा उसे भीख मांगने वाले को 10 रुपए की भीख देनी पड़ती है। 
 
इतना ही नहीं भीख मांगने वाले को यदि किसी से पैसे नहीं मिलते तो वह उन लोगों से कहता है कि बहुत ज्यादा भूख लगी है, आप हमें रोटी खिला दो और रोटी के लिए व्यक्ति को कम से कम 40-50 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इस समय नगर में हर दिन लाखों की संख्या में पहुंचने वाले पर्यटक तथा श्रद्धालु वर्ग के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यही है कि नगर के स्थान-स्थान पर भीख मांगने वालों द्वारा उनकी घेराबंदी की जाती है और जबरन भीख प्राप्त की मांग की जाती है। इस समय नगर के अनेक धार्मिक, पर्यटक, शॉपिंग काम्पलैक्स, छोटे-बड़े बाजारों, बस स्टैंड तथा रेलवे स्टेशन आदि में हजारों की संख्या में भिखारी सक्रिय हैं, जो कि जबरन भीख प्राप्ति के लिए नगर की जनता तथा बाहरी शहरों व विदेशों से आने वाले वर्ग को परेशान करते नजर आते हैं। 
 
वहीं आज नगर में हजारों की संख्या में भिखारी जिनमें वृद्ध, महिलाएं, विकलांग तथा छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं, सुबह से रात्रि तक लोगों से जबरन भीख हासिल करते नजर आते हैं और नगर के लालबत्ती चौराहों पर भी किसी न किसी रूप से भीख हासिल करते नजर आते हैं। 
 
Advertising