पंजाब में एड्स के 30 हजार मरीज लापता!

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2015 - 05:27 PM (IST)

लुधियाना (सहगल): राज्य के एड्स के 30 हजार के करीब मरीज लापता हैं। इससे एच.आई.वी. के मामले बढऩे की आशंका है। इनमें काफी संख्या ऐसे मरीजों की है जिन्हें एच.आई.वी. केयर सैंटरों पर रजिस्टर्ड किया गया परन्तु बाद में इनमें से काफी मरीज इन सैंटरों पर नहीं आए।

इन मरीजों के अलावा बहुत से मरीज एड्स कंट्रोल सोसायटी के राडार पर ही नहीं आए। वर्तमान में एड्स की टैस्ट किटें समाप्त हो जाने से जांच का काम बुरी तरह प्रभावित होने की प्रबल अशंका बन गई है। 
 
पंजाब राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा उपलब्ध आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 1993 से जनवरी 2015 तक 26 लाख 74 हजार 301 लोगों के राज्य में एच.आई.वी. के टैस्ट किए गए। इनमें 44,529 लोगों को एच.आई.वी. पॉजीटिव पाया गया परन्तु इनमें से 33,662 को एच.आई.वी. केयर सैंटरों पर पंजीकृत किया गया। इनमें 20,706 का उपचार ए.आर.टी. सैंटरों पर शुरू किया गया। 
 
वर्तमान में 14,957 लोग इन सैंटरों पर अपना उपचार करा रहे हैं लेकिन पंजीकरण होने के बाद जो लोग उपचार के लिए नहीं आए वे कहां गए। बिना उपचार के घूम रहे इन लोगों में महिलाएं भी शामिल बताई जाती हैं पर इन्हें ढूंढने के लिए कुछ नहीं किया गया। 
 
इस जांच का एक पहलू यह भी हो सकता है कि 44 हजार पॉजीटिव मरीजों में से 14,957 का ही इन सैंटरों पर उपचार चल रहा है। 3 महीने में मरे 450 मरीज : सोसायटी के सूत्रों के अनुसार पिछले 3 महीने में 450 एड्स पीड़ित लोग मरे हैं। ये आंकड़े एड्स कंट्रोल सोसायटी के रिकार्ड में भी दर्ज बताए जाते हैं। 
 
अक्तूबर 2014 तक अब तक 3750 लोगों के एड्स से मरने की बात कही जा रही थी। अब यह संख्या जनवरी 2015 के रिकार्ड में 4017 बताई जा रही है लेकिन वास्तविक संख्या इससे अधिक है। 
 
आई.सी.टी.सी. सैंटरों पर जांच का काम रुका
एच.आई.वी. की जांच की समाप्ति के बाद एच.आई.वी. जांच का काम लगभग रुक गया है। एडस कंट्रोल सोसायटी द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार गर्भवती महिलाओं व टी.बी. के मरीजों की जांच की लाजमी जांच भी इससे प्रभावित हो रही है। 
 
इसका उदाहरण जिला एड्स कंट्रोल अफसर डा. यू.एस. सूच के पत्र से लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने जिले के सभी सीनियर मैडीकल अफसरों को लिखा है कि वे एच.आई.वी. जांच किटें अपने रिसॉर्स से खरीदें क्योंकि एच.आई.वी. किटों का स्टॉक जिला व राज्य स्तर पर समाप्त हो चुका है इसलिए उनसे अनुरोध किया जाता है कि आवश्यक व जनसाधारण की एच.आई.वी. की जांच किटें अपने स्तर पर उपलब्ध कराएं जब तक कि पंजाब राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी उन्हें टैस्ट किटें न भेज दे।
 
किटें समाप्त होने पर भी हो रहे हैं टैस्ट
एक ओर जहां टैस्ट किटें समाप्त हो चुकी हैं वहीं दूसरी ओर गैर-सरकारी संगठनों के पास पंजीकृत मरीजों के टैस्ट रिकार्ड में किए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इन फर्जी टैस्टों का अधिकारियों को भी पता है पर अन्दरखाते सारा काम जारी है। गैर-सरकारी संगठनों की जांच में एक संस्था में प्रोजैक्ट अफसर द्वारा भारी अनियमितताएं पाई गईं जिस पर कोई कारवाई करने की बजाय उसे कुछ समय के भीतर अपना रिकार्ड ठीक करने को कहा गया है। 

सैंटरों में लैब टैक्नीशियनों की कमी 
आई.सी.टी.सी. सैंटरों पर लैब टैक्नीशियनों की कमी पाई जा रही है। अधिकारियों का तर्क है कि लैब टैक्नीशियन ठेके पर भर्ती किए जाते हैं। कुछ समय पहले सेहत विभाग द्वारा लैब टैक्नीशियनों की स्थायी नौकरियों के आवेदन आने पर एड्स कंट्रोल सोसायटी में ठेके पर काम कर रहे 20-25 लैब टैक्नीशियन काम छोड़ कर चले गए। जिस पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, आऊटरीच वर्करों ने यह काम संभाल लिया।

इन सैंटरों के पंजाब के प्रमुख उपिन्द्र गिल ने इसे सीरियस मुद्दा मानते हुए इसमें जांच कराने की बात कही है। इसी बीच कुछ मरीजों ने आर.टी.आई. द्वारा यह पता लगाने का फैसला किया है कि उनके एच.आई.वी. के टैस्ट लैब टैक्नीशियनों ने किए या किसी और ने, क्योंकि नियमों के अनुसार लैब टैक्नीशियन ही एच.आई.वी. के टैस्ट कर सकता है।

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