इन रेल यात्रियों को कौन समझाएगा

Monday, Feb 23, 2015 - 04:10 AM (IST)

जालंधर (गुलशन): आजकल की युवा पीढ़ी ने टे्रनों व रेल सफर को मजाक बना रखा है। कोई कोच के दरवाजे के बीच खड़े होकर सफर कर रहा है तो कोई कोच के पायदान पर बैठकर सफर कर रहा है। इन्हें कोई डर नहीं। हैरानी की बात है कि पिछले कुछ समय में ऐसे रेल हादसों में काफी इजाफा हुआ है जिसमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन फिर भी इस युवा पीढ़ी पर कोई असर नहीं दिख रहा।

चाहे कोई रेललाइन हो या सिटी स्टेशन के रेल टै्रक, इन्हें रोजाना सैंकड़ों लोग कानून को धत्ता बताते हुए सरेआम क्रॉस करते हैं। रेलवे के नियमों के मुताबिक रेल ट्रैक के पास टहलना या इसे पार करना कानूनन अपराध माना जाता है लेकिन इसका कोई असर इन लोगों पर नहीं दिखता।
 
हालांकि समय-समय पर रेलवे सुरक्षा बल की तरफ से ऐसे नियमों की उल्लंघना करने वाले लोगों पर शिकंजा कसते हुए इन्हें काबू कर जुर्माना इत्यादि करने की भी प्रक्रिया अपनाई जाती है लेकिन रेलवे एक्ट के अधीन मामूली जुर्माने के बाद इन्हें छोड़ दिया जाता है जिस वजह से इनके हौसले और बुलंद हो जाते हैं।
 
कल एक और गंभीर मसला देखने में आया कि जालंधर से अमृतसर जा रही नई दिल्ली-पठानकोट एक्सप्रैस को करतारपुर स्टेशन से थोड़ा पहले सिग्नल न होने के कारण रोक दिया गया लेकिन ट्रेन में सवार कुछ नौजवानों में थोड़ा भी सब्र नहीं था और वे आऊटर से भी काफी पीछे खड़ी ट्रेन से उतर कर ट्रेन के चलने का इंतजार करने लगे। 
 
रेलवे पुलिस द्वारा स्टेशनों पर तो ऐसे यात्रियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाता है लेकिन बीच रास्ते में इन लोगों को कौन समझाए? हैरानी तो तब हुई जब ड्राइवर ने हॉर्न बजाकर गाड़ी को रवाना करना शुरू किया तो ट्रेन से कई फुट नीचे खड़े इन यात्रियों में दोबारा ट्रेन में चढऩे के लिए भगदड़ मच गई और काफी मशक्कत करनी पड़ी। ऐसे में किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता था लेकिन सौभाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। ऐसे दृश्य देखकर ट्रेन में सवार अन्य यात्रियों ने इन युवाओं को खूब कोसा लेकिन इनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।
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