तेजी से बढ़ रही है यह खतरनाक बीमारी

Sunday, Feb 22, 2015 - 05:08 AM (IST)

गुरदासपुर (विनोद): बेशक केन्द्र सरकार, पंजाब सरकार व सेहत विभाग जिला गुरदासपुर एड्स की बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रहा है और लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह के जागरूकता कैंप भी आयोजित भी कर रहा है, परंतु बीते 13 साल में जितनी तेजी से जिला गुरदासपुर में एड्स मरीजों की संख्या बढ़ी है वह एक चिंता का विषय है, जबकि सरकारी आंकड़ों की अपेक्षा जिला गुरदासपुर में एड्स पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग चार गुणा है। 

जानकारी के अनुसार देश भर में एड्स बीमारी संबंधी रिकार्ड बनाने का काम साल 1991 में शुरू किया गया था। साल 2000 तक तो जिला गुरदासपुर में एड्स पीड़ितों की संख्या मात्र 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई थी, जबकि आज सेहत विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला गुरदासपुर में एड्स पीड़ितों की संख्या लगभग 1700 से अधिक है, जबकि इन एड्स पीड़ितों में से लगभग 200 मरीज दम तोड़ चुके हैं और बाकी जीवन व मौत के बीच लटके हुए हैं, परंतु जितनी तेजी सें यह संख्या गत 13 साल में बढ़ी है वह सेहत विभाग के लिए चिंता का विषय जरूर बना हुआ है। 

सेहत विभाग के सूत्रों के अनुसार यह आंकड़ा उनका है जो लोग जिला गुरदासपुर के सरकारी अस्पतालों में अपना टैस्ट करवा चुके हैं तथा सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई दवाई भी खा रहे हैं, परंतु व्यावहारिक रूप में जिला गुरदासपुर में एड्स पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 6000 आंकी जा रही है, क्योंकि अधिकतर लोग प्राइवेट अस्पतालों में ही अपना इलाज करवाते हैं।

जिला गुरदासपुर में इकट्ठी की गई जानकारी के अनुसार ट्रक चालकों के परिवार अधिकतर इस बीमारी से पीड़ित हैं क्योंकि वे अन्य राज्यों में ट्रक लेकर जाते रहते हैं। पति से पत्नी और पत्नी से आगे बच्चों में यह बीमारी शिफ्ट हो रही है, परंतु ये ट्रक चालक अब इतने जागरूक हो गए हैं कि जिला गुरदासपुर की बजाय अन्य शहरों में ही प्राइवेट लैब से अपना टैस्ट करवा रहे हैं जिसके कारण जिला गुरदासपुर में यह बीमारी कितने लोगों को अपनी पकड़ में ले चुकी है, इसका अंदाजा लगाना कठिन है, परंतु सभी मानते हैं कि यह संख्या 5 हजार से अधिक जरूर है। 

गुरदासपुर अस्पताल में एक एस.टी.डी. क्लीनिक भी चल रहा है जिसमें सैक्स संबंधी हर बीमारी के मुफ्त टैस्ट किए जाते हैं और दवाई भी मुफ्त दी जाती है। इस क्लीनिक में मरीज के साथ-साथ उसके लाइफ पार्टनर को भी दवाई खाने के लिए दी जाती है। गत 13 साल में रोगियों की संख्या बढऩे संंबंधी सेहत विभाग के अधिकारी ने कहा कि लोगों के इस बीमारी संबंधी जागरूक न होने के कारण यह संख्या बढ़ी है। आज भी इस बीमारी से पीड़ित मरीज अपनी बीमारी को छिपा कर अपने जीवन से खेल रहे हैं, जबकि सेहत विभाग इस संबंधी कई तरह के सैमीनार भी आयोजित करता रहता है।

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