गैस एजैंसियों की मनमानी जोरों पर

Monday, Feb 02, 2015 - 01:55 AM (IST)

अमृतसर(नीरज): कभी आधारकार्ड तो कभी बैंक अकाऊंट्स का हवाला देते हुए आम जनता को गैस सिलैंडर देने में मनमानी कर रही कुछ गैस एजैंसियों की शिकायतों संबंधी डिप्टी कमिश्नर रवि भगत ने जिला फूड एंड सिविल सप्लाई कंट्रोलर व ऑयल कम्पनियों के अधिकारियों को तलब कर लिया है। इसके अलावा सोमवार को डी.सी. सभी गैस एजैंसियों के मालिकों के साथ भी बैठक करने जा रहे हैं ताकि लोगों की शिकायतों का मौके पर ही निपटारा किया जा सके और जनता को राहत मिल सके।

जानकारी के अनुसार डी.सी. को शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ गैस एजैंसियां लोगों को सबसिडी वाला सिलैंडर नहीं दे रही हैं। लोगों से कहा जा रहा है कि वे पहले अपना बैंक खाता डिटेल और आधारकार्ड एजैंसी में जमा करवाएं और दोनों का ङ्क्षलकअप करवाएं तब जाकर सबसिडी वाला गैस सिलैंडर दिया जाएगा अन्यथा बिना सबसिडी वाला गैस सिलैंडर ही मिलेगा लेकिन कुछ गैस एजैंसियां इसके बावजूद सबसिडी वाला सिलैंडर दे रही हैं। ऐसे में आम जनता में उहापोह की स्थिति बनी हुई है और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
 
दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिनके अभी तक आधारकार्ड ही नहीं बने या फिर ऐसे लोग हैं जिनके आधारकार्ड गुम हो गए हैं क्योंकि ऐसी स्थिति तब बनी थी जब पूर्व यू.पी.ए. सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद सबसिडी वाले सिलैंडर के मामले में आधारकार्ड जरूरी होने का फैसला टाल दिया था लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद फिर से आधारकार्ड व बैंक खाते में सबसिडी डालने का फैसला कर लिया है लेकिन इसके लिए लोगों को 31 मार्च 2015 तक का समय दिया गया है ताकि लोग अपने आधारकार्ड व बैंक खातों को ङ्क्षलकअप करवा लें। 
 
जिला भाजपा अध्यक्ष पंडित नरेश शर्मा ने कहा कि घरेलू गैस सिलैंडर की समस्या इस समय गंभीर रूप धारण कर चुकी है और आम जनता को इससे भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन दर्जनों लोग दफ्तर में आकर उनको शिकायतें कर रहे हैं जबकि प्रशासन को चाहिए इस बारे में स्थिति स्पष्ट की जाए। उन्होंने कहा कि अब भी पूरे जिले में 30 से 35 प्रतिशत लोगों के आधारकार्ड नहीं बने हैं। 
 
जिला प्रशासन से मांग की जा रही है कि वार्ड स्तर पर आधारकार्ड बनाने के लिए कैम्प लगाए जाएं ताकि लोगों को इस मुसीबत से निजात मिल सके। वहीं आधारकार्ड के मामले में भी अजीब सी स्थिति बनी हुई है। प्रशासन की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के आधारकार्ड बन चुके हैं। यही कारण था कि जिले में आधारकार्ड बनाने के लिए लगाए कैम्प खत्म हो गए। यहां तक कि जिस कम्पनी को आधारकार्ड बनाने का ठेका दिया गया था वह यहां से पलायन कर चुकी है। ऐसे में लोगों को नए आधारकार्ड बनाने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
 
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