दुर्दशा का शिकार किसान हो रहे हैं खुदकुशी के लिए मजबूर

Monday, Feb 02, 2015 - 12:34 AM (IST)

होशियारपुर (जैन): देश को अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंजाब के किसानों की खून पसीने की मेहनत के चलते राष्ट्रीय अनाज भंडार में बहुमूल्य योगदान डाला जा रहा है। बावजूद इसके राज्य में किसानों की हालत बेहद दयनीय है। फसलों की उत्पादन लागत अत्यधिक बढ़ गई है। डी.ए.पी. खाद की बोरी, जोकि कुछ अर्सा पहले 465 रुपए की थी, आज बाजार में 1150 रुपए में मिल रही है। 

इसी प्रकार यूरिया खाद भी ब्लैक में ही उपलब्ध है जिसके चलते किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। लेबर मनमर्जी के रेट लेने के लिए किसानों को मजबूर कर रही है। परिणामस्वरूप कृषि का धंधा अब फायदेमंद नहीं रहा।
 
फसलों की कीमतें बहुत कम मिलने के कारण किसानों के लिए अपने परिवारों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। कर्ज के बोझ में दबे किसान आत्महत्याएं करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। देश की सरकारों को किसानों की कोई परवाह नहीं। प्रदेश सरकार ऐसे हालातों के लिए केंद्र पर आरोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ रही है। ऐसे में कृषि के सहायक धंधे डेयरी फाॄमग व पोल्ट्री फार्मों का कारोबार भी चौपट हो रहा है।
 
कृषि को डुबो रहा है पावर कॉम
 
पंजाब की सत्ताधारी अकाली सरकार, जो खुद को किसानों का हमदर्द बताती है, ने कभी भी किसानों का साथ नहीं दिया। सरकार द्वारा किसानों को बिजली, पानी की जो सहूलियत दी गई है उसमें भी बहुत खामियां पाई जा रही हैं। किसानों को बिजली की पूरी सप्लाई नहीं मिल रही। 2-3 घंटे बिजली की सप्लाई से किसी भी फसल को पानी देना संभव नहीं। मजबूर होकर किसानों को बड़ी मोटरें लगाकर पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है जिस कारण बिजली का लोड बढऩा स्वाभाविक ही है। ऐसे हालातों में पावर कॉम का पुराना सिस्टम पानी ज्यादा गहरा होने के कारण फेल हो रहा है।
 
क्या कहते हैं किसान
 
इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर इलाके के प्रमुख किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। उनका कहना है कि सरकार पंजाब को बिजली सरप्लस राज्य घोषित करने की डींगें मारती नहीं थकती लेकिन न जाने पंजाब को यह रुतबा कभी हासिल होगा या नहीं।
 
किसानों का कहना है कि बिजली के ट्रांसफार्मरों का लोड बढ़ाना तो दूर की बात, अगर किसी ट्रांसफार्मर का मात्र फ्यूज ही उड़ जाता है तो इसके लिए उन्हें बिजली कर्मियों की मिन्नतें करनी पड़ती हैं। शिकायत केंद्रों पर शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। 
 
हालत यह है कि किसानों से ही पैसे इकट्ठे कर विभाग ट्रांसफार्मर को मुरम्मत करवाने की व्यवस्था करता है। किसानों का कहना है कि सर्दी के मौसम में ही विभाग को ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि आने वाले गर्मी के सीजन में उन्हें कोई परेशानी पेश न आए।
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