सुखबीर ने किया व्यापारियों को कन्फ्यूज!
Sunday, Feb 01, 2015 - 04:55 PM (IST)
जालंधर (खुराना): व्यापार तथा उद्योग जगत में वर्षों से फैले रोष को थामने का प्रयास करते हुए उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने गत दिवस पंजाब के व्यापारियों को टैक्स प्रणाली में राहतें देने की घोषणा करके वाहवाही लूटने का जो प्रयास किया था, वह इस बार भी असफल होता दिखाई दे रहा है क्योंकि विभिन्न मुद्दों पर पिछले समय दौरान उद्योग व व्यापार जगत को साथ लेकर संघर्ष करने में अग्रणी रही व्यापार सेना पंजाब ने आरोप लगाया है कि सुखबीर बादल ने पंजाब के लाखों व्यापारियों को कन्फ्यूज कर दिया है।
व्यापार सेना के प्रदेश प्रधान रविंद्र धीर तथा महासचिव विपन परिंजा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई राहत स्कीम व्यापारियों की समझ में नहीं आ रही।
सरकार कहती है कि व्यापारियों को अब अकाऊंट बुक्स रखने की कोई जरूरत नहीं, जबकि हर व्यापारी के पास 3 अकाऊंट बुक्स लाजिमी होती हैं, जिनमें बिल बुक, कैश बुक या ट्रांसफर बुक तथा लैजर शामिल हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बिल बुक है। क्या व्यापारी बिल बुक के बगैर बिजनैस कर सकेगा? अगर हां तो उसकी टर्नओवर को कैसे गिना जाएगा?
व्यापार सेना ने प्रश्र पूछा है कि क्या व्यापारी इनपुट टैक्स क्रैडिट का क्लेम कर सकेगा? अगर उत्तर न में है तो क्या व्यापारी बगैर बिल का माल खरीदेगा या अपने रेट बढ़ाने पर विवश होगा, जिससे वह प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएगा।
यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या व्यापारी बगैर किसी फार्म के इंटर-स्टेट सेल करेगा? रविंद्र धीर ने कहा कि सैल्फ असैसमैंट स्कीम होने के बावजूद वैट एक्ट बुरी तरह विफल साबित हुआ जिसका मुख्य कारण सी.फार्म, एच. फार्म, एफ.फार्म तथा अन्य प्रक्रियाएं थीं।
क्या अब समझा जाए कि जिनकी टर्न ओवर 1 करोड़ से कम है, उन्हें सी.फार्म या अन्य फार्म लेने की कोई आवश्यकता नहीं? यह भी स्पष्ट नहीं कि क्या यह राहत पैंडिंग केसों तथा मौजूदा वित्तीय वर्ष पर लागू होगी या नहीं?
उन्होंने कहा कि छोटी-मोटी राहत देने की बजाय पंजाब सरकार को पूरे वैट कॉन्सैप्ट का अध्ययन करना चाहिए और उसमें जो व्यापार तथा उद्योग विरोधी चीजें हैं, उन्हें तुरंत दूर करना चाहिए।
वैट रिफंड बारे एक शब्द नहीं बोले
व्यापार सेना ने उपमुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने राहत स्कीम के दौरान वैट रिफंड पर एक शब्द नहीं बोला हालांकि लाखों व्यापारी इस मामले में पंजाब सरकार के रवैये से परेशान हैं।